शांता कुमार : आयु, जीवनी, करियर, राजनीतिक और व्यक्तिगत जीवन
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शांता कुमार
(Age 90 Yr. )
व्यक्तिगत जीवन
शिक्षा | स्नातक |
धर्म/संप्रदाय | सनातन |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
व्यवसाय | राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ता |
स्थान | कांगड़ा, पंजाब, ब्रिटिश भारत, |
शारीरिक संरचना
आँखों का रंग | काला |
बालों का रंग | सफ़ेद |
पारिवारिक विवरण
अभिभावक | पिता- जगन्नाथ शर्मा |
वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
जीवनसाथी | संतोष शैलजा |
बच्चे/शिशु | बेटा- 1 |
शांता कुमार शर्मा एक प्रमुख भारतीय राजनेता हैं, जो हिमाचल प्रदेश के तीसरे मुख्यमंत्री रह चुके हैं। वे भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सदस्य हैं और 1989 में कांगड़ा निर्वाचन क्षेत्र से 9वीं लोकसभा के लिए चुने गए थे। इसके बाद, 1998, 1999 और 2014 में भी उन्होंने उसी क्षेत्र से लोकसभा चुनाव जीते।
शांता कुमार शर्मा हिमाचल प्रदेश के पहले और एकमात्र मुख्यमंत्री हैं, जो राजपूत पृष्ठभूमि से नहीं आते। इसके अलावा, उन्होंने कई पुस्तकें भी लिखी हैं, जिनमें उनके विचार और दृष्टिकोण को जानने का अवसर मिलता है।
प्रारंभिक जीवन
शांता कुमार शर्मा का जन्म 12 सितम्बर 1934 को पंजाब प्रान्त के कांगड़ा जिले के गढ़जमुला गांव में हुआ था। वे जगन्नाथ शर्मा और कौशल्या देवी के पुत्र थे। उनके माता-पिता ने हमेशा उन्हें संस्कारों और नैतिक मूल्यों के महत्व को समझाया, जो उनके व्यक्तित्व और जीवन के मार्ग को प्रभावित करने में मददगार साबित हुए।
उन्होंने कांगड़ा में अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की और बाद में पंजाब विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की। उनकी शैक्षिक पृष्ठभूमि ने उन्हें अनुशासन और समर्पण की भावना दी, जो बाद में उनके राजनीतिक करियर में मददगार साबित हुई।
शांता कुमार शर्मा का अपने घर और कांगड़ा जिले से गहरा जुड़ाव था, और यही उनकी राजनीति और नेतृत्व का मुख्य आधार बना। उनका सरल और मेहनती परिवार जीवन में बहुत प्रभावी रहा, जिसने उनके सार्वजनिक जीवन में उनकी निष्ठा और प्रतिबद्धता को मजबूत किया।
राजनीतिक करियर
शांता कुमार शर्मा का राजनीतिक करियर 1963 में शुरू हुआ जब उन्हें गढ़जमुला ग्राम पंचायत के पंच के रूप में चुना गया। इसके बाद, उन्होंने भवारना पंचायत समिति के सदस्य के रूप में सेवा दी और फिर कांगड़ा में जिला परिषद के अध्यक्ष के रूप में 1965 से 1970 तक कार्य किया।
1972 में, शांता कुमार शर्मा ने हिमाचल प्रदेश विधान सभा में अपनी जगह बनाई और 1985 तक सदस्य रहे। 1990 में उन्हें फिर से विधानसभा में चुना गया और 1992 तक वे इस पद पर रहे। 1977 में, वे हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और 1980 तक इस पद पर रहे। इसके बाद, 1990 में फिर से मुख्यमंत्री बने और 1992 तक उन्होंने राज्य की बागडोर संभाली। अपने दूसरे कार्यकाल में उन्होंने "कोई काम नहीं, तो कोई वेतन नहीं" नीति लागू की, ताकि हड़ताल कर रहे सरकारी कर्मचारियों से सख्ती से निपटा जा सके। 1980 से 1985 तक वे हिमाचल प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे।
शांता कुमार शर्मा ने 1989 में कांगड़ा से 9वीं लोकसभा के लिए चुनाव जीता। इसके बाद 1998 और 1999 में भी उन्होंने कांगड़ा से लोकसभा चुनाव जीते। वे अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में 1999 से 2004 तक एक वरिष्ठ मंत्री रहे। 1999 से 2002 तक वे उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण मंत्री रहे, और फिर 2002 से 2004 तक ग्रामीण विकास मंत्री के रूप में कार्य किया।
2008 में, शांता कुमार शर्मा को हिमाचल प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुना गया। 2014 में, उन्होंने कांगड़ा से 16वीं लोकसभा में फिर से जीत हासिल की। 2014-15 के दौरान उन्होंने भारतीय खाद्य निगम (FCI) के पुनर्गठन पर एक समिति की अध्यक्षता की।
व्यक्तिगत जीवन
शान्त कुमार शर्मा ने 1964 में संतोष शैलजा से विवाह किया। उनके चार बच्चे हैं - तीन बेटियाँ, इंदु शर्मा, रेनु मुजुमदार, शालिनी सथ्यान और एक बेटा, विक्रम शर्मा।
उनकी पत्नी संतोष शैलजा ने प्रारंभिक वर्षों में एक शिक्षिका के रूप में काम किया, लेकिन बाद में उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और महिलाओं और पिछड़े वर्गों के बीच लेखन और सामाजिक कार्य में रुझान दिखाया। उन्होंने कई पुस्तकें भी लिखी।
दुर्भाग्यवश, शान्त कुमार शर्मा की पत्नी संतोष शैलजा का निधन दिसंबर 2020 में कोरोना वायरस के कारण हुआ, जब उन्हें डॉ. राजेन्द्र प्रसाद सरकारी मेडिकल कॉलेज, टांडा में भर्ती किया गया था।
लेखन
शांता कुमार शर्मा ने कई पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें उनकी विचारधारा और जीवन के प्रति उनकी सोच को दर्शाया गया है। उनकी कुछ प्रमुख कृतियाँ निम्नलिखित हैं:
- धरती बलिदान की (1962)
- हिमालय पर लाल छाया (1964)
- विश्व विजेता विवेकानंद (1968)
- लाजो (1976)
- मन के मीत (1976)
- कैदी (1976)
- ज्योतिरमयी (1977)
- ओ प्रवासी मीत मेरे (1977)
- मृगतृष्णा (1980)
- क्रांति अभी अधूरी है (1985)
- दीवार के उस पार (1995)
- राजनीति की शतरंज (1997)
- तुम्हारे प्यार की पाती (1999)
- वृंदा (2007)
- A Patriot Monk Swami Vivekananda (2012)
इन पुस्तकों के माध्यम से शांता कुमार शर्मा ने न केवल साहित्य की दुनिया में अपना स्थान बनाया, बल्कि समाज, राजनीति और मानवता पर अपने गहरे विचारों को भी प्रस्तुत किया।
सामान्य प्रश्न:
प्रश्न: शांता कुमार शर्मा का जन्म कब और कहां हुआ था?
उत्तर: शांता कुमार शर्मा का जन्म 12 सितम्बर 1934 को हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के गढ़जमुला गांव में हुआ था।
प्रश्न: शांता कुमार शर्मा ने राजनीति में कब कदम रखा?
उत्तर: शांता कुमार शर्मा ने 1963 में राजनीति में कदम रखा, जब वे गढ़जमुला ग्राम पंचायत के पंच के रूप में चुने गए।
प्रश्न: शांता कुमार शर्मा ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कब कार्य किया?
उत्तर: वे 1977 में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और 1980 तक इस पद पर रहे। इसके बाद, 1990 में फिर से मुख्यमंत्री बने और 1992 तक इस पद पर रहे।
प्रश्न: शांता कुमार शर्मा की पत्नी का नाम क्या था और उनका क्या योगदान था?
उत्तर: शांता कुमार शर्मा की पत्नी का नाम संतोष शैलजा था। वे प्रारंभ में शिक्षिका थीं, लेकिन बाद में उन्होंने लेखन और महिलाओं तथा पिछड़े वर्गों के बीच सामाजिक कार्य किया।
प्रश्न: शांता कुमार शर्मा की प्रमुख पुस्तकों में कौन-कौन सी हैं?
उत्तर: उनकी प्रमुख पुस्तकों में "धरती बलिदान की" (1962), "हिमालय पर लाल छाया" (1964), "राजनीति की शतरंज" (1997) और "A Patriot Monk Swami Vivekananda" (2012) शामिल हैं।