मिलखा सिंह

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मिलखा सिंह

नाम :मिलखा सिंह
उपनाम :फ्लाइंग सिख
जन्म तिथि :20 November 1929
(Age 91 Yr. )
मृत्यु की तिथि :18 June 2021

व्यक्तिगत जीवन

शिक्षा 5वीं कक्षा
धर्म/संप्रदाय सिख धर्म
राष्ट्रीयता भारतीय
व्यवसाय धावक
स्थान गोविन्दपुरा, पंजाब (वर्तमान में अब पाकिस्तान में),

शारीरिक संरचना

ऊंचाई लगभग 5.10 फ़ीट
वज़न लगभग 70 किग्रा
आँखों का रंग गहरा भूरा
बालों का रंग स्लेटी

पारिवारिक विवरण

वैवाहिक स्थिति Divorced
जीवनसाथी

निर्मल कौर

बच्चे/शिशु

पुत्र : जीव मिल्का सिंह
पुत्री : सोनिया सांवलका और 2 अन्य

भाई-बहन

बहन : ईशार
भाई : माखन सिंह और 12 अन्य

मिलखा सिंह (जन्म: २० नवंबर १९२९ - मृत्यु: १८ जून २०२१) एक भारतीय धावक थे, जिन्होंने रोम के १९६० ग्रीष्म ओलंपिक और टोक्यो के १९६४ ग्रीष्म ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। उन्हें "उड़न सिख" उपनाम दिया गया था। वे भारत के सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ एथलीट्स में से एक थे। वे एक राजपूूूत सिख (राठौड़) परिवार से थे।

भारत सरकार ने १९५९ में उन्हें पद्म श्री की उपाधि से भी सम्मानित किया।

बचपन

मिलखा सिंह का जन्म २० नवंबर १९२९ को गोविन्दपुर (जो अब पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त में पड़ता है) में एक सिख जाट परिवार में हुआ था। भारत के विभाजन के बाद की अफ़रा तफ़री में मिलखा सिंह ने अपने माँ-बाप को खो दिया। अंततः वे शरणार्थी बन के ट्रेन से पाकिस्तान से भारत आए। ऐसे भयानक बचपन के बाद उन्होंने अपने जीवन में कुछ कर गुज़रने की ठानी।

मिल्खा सिंह सेना में भर्ती होने की कोशिश करते रहे और अंततः वर्ष 1952 में वह सेना की विद्युत मैकेनिकल इंजीनियरिंग शाखा में शामिल होने में सफल हो गये। एक बार सशस्त्र बल के उनके कोच हवीलदार गुरुदेव सिंह ने उन्हें दौड़ (रेस) के लिए प्रेरित कर दिया, तब से वह अपना अभ्यास कड़ी मेहनत के साथ करने लगे। वह वर्ष 1956 में पटियाला में हुए राष्ट्रीय खेलों के समय से सुर्खियों में आये।

एक होनहार धावक के तौर पर ख्याति प्राप्त करने के बाद उन्होंने २०० मीटर और ४०० मीटर की दौड़े सफलतापूर्वक की और इस प्रकार भारत के अब तक के सफलतम धावक बने। कुछ समय के लिए वे ४०० मीटर के विश्व कीर्तिमान धारक भी रहे।

कार्डिफ़, वेल्स, संयुक्त साम्राज्य में १९५८ के कॉमनवेल्थ खेलों में स्वर्ण जीतने के बाद सिख होने की वजह से लंबे बालों के साथ पदक स्वीकारने पर पूरा खेल विश्व उन्हें जानने लगा। इसी समय पर उन्हें पाकिस्तान में दौड़ने का न्यौता मिला, लेकिन बचपन की घटनाओं की वजह से वे वहाँ जाने से हिचक रहे थे। लेकिन न जाने पर राजनैतिक उथल पुथल के डर से उन्हें जाने को कहा गया। उन्होंने दौड़ने का न्यौता स्वीकार लिया। दौड़ में मिलखा सिंह ने सरलता से अपने प्रतिद्वन्द्वियों को ध्वस्त कर दिया और आसानी से जीत गए। अधिकांशतः मुस्लिम दर्शक इतने प्रभावित हुए कि पूरी तरह बुर्कानशीन औरतों ने भी इस महान धावक को गुज़रते देखने के लिए अपने नक़ाब उतार लिए थे, तभी से उन्हें फ़्लाइंग सिख की उपाधि मिली।

सेवानिवृत्ति के बाद मिलखा सिंह खेल निर्देशक, पंजाब के पद पर थे। मिलखा सिंह ने बाद में खेल से सन्यास ले लिया और भारत सरकार के साथ खेलकूद के प्रोत्साहन के लिए काम करना शुरू किया। वे चंडीगढ़ में रहते थे। जाने-माने फिल्म निर्माता, निर्देशक और लेखक राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने वर्ष 2013 में इनपर भाग मिल्खा भाग नामक फिल्म बनायी। ये फिल्म बहुत चर्चित रही। 'उड़न सिख' के उपनाम से चर्चित मिलखा सिंह देश में होने वाले विविध तरह के खेल आयोजनों में शिरकत करते रहते थे। हैदराबाद में 30 नवंबर,2014 को हुए 10 किलोमीटर के जियो मैराथन-2014 को उन्होंने झंड़ा दिखाकर रवाना किया।

व्यक्तिगत जीवन

2012 तक , सिंह चंडीगढ़ में रहते थे। 1955 में सीलोन में उनकी मुलाकात भारतीय महिला वॉलीबॉल टीम की पूर्व कप्तान निर्मल सैनी से हुई; उन्होंने 1962 में शादी की और उनकी तीन बेटियां और एक बेटा, गोल्फर जीव मिल्खा सिंह हैं । 1999 में, उन्होंने हवलदार बिक्रम सिंह के सात वर्षीय बेटे को गोद लिया, जो टाइगर हिल की लड़ाई में मारे गए थे ।

मृत्यु

मिलखा सिंह ने 18 जून, 2021 को चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर अस्पताल में अंतिम सांस ली। वे कोविड-१९ से ग्रस्त थे। चार-पाँच दिन पूर्व उनकी पत्नी का देहान्त भी कोविड से ही हुआ था। उनके पुत्र जीव मिलखा सिंह गोल्फ़ के खिलाड़ी हैं।

खेल कूद रिकॉर्ड, पुरस्कार

  • इन्होंने 1958 के एशियाई खेलों में 200 मीटर व ४०० मी में स्वर्ण पदक जीते।
  • इन्होंने १९५८ के राष्ट्रमण्डल खेलों में स्वर्ण पदक जीता।
  • वर्ष 1958 के एशियाई खेलों की 400 मीटर रेस में – प्रथम
  • वर्ष 1958 के एशियाई खेलों Archived 2021-06-24 at the Wayback Machine की 200 मीटर रेस में – प्रथम
  • वर्ष 1959 में – पद्मश्री पुरस्कार
  • वर्ष 1962 के एशियाई खेलों की 400 मीटर दौड़ में – प्रथम
  • वर्ष 1962 के एशियाई खेलों की 4*400 रिले रेस में – प्रथम
  • वर्ष 1964 के कलकत्ता राष्ट्रीय खेलों की 400 मीटर रेस में – द्वितीय
Readers : 130 Publish Date : 2023-07-06 06:30:15