कार्ल लीनियस

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कार्ल लीनियस

नाम :कार्ल लीनियस
जन्म तिथि :07 May 1707
(Age 70 Yr. )
मृत्यु की तिथि :10 January 1778

व्यक्तिगत जीवन

शिक्षा लुंड विश्वविद्यालय, उप्साला विश्वविद्यालय, हर्देर्विक विश्वविद्यालय
व्यवसाय जूलॉजिस्ट, टैक्सोनोमिस्ट और फिजिशियन
स्थान रॉशुल्ट, एल्महुल्ट, स्वीडन,

पारिवारिक विवरण

अभिभावक

पिता - निल्स इंगेमर्सन लिनिअस
माता - क्रिस्टीना ब्रोडरसोनिया

वैवाहिक स्थिति Married
जीवनसाथी सारा एलिज़ाबेथ मोरिया (वि. 1739)
बच्चे/शिशु

बच्चे: 7

कार्ल लीनियस या कार्ल वॉन लिने (२३ मई १७०७ - १० जनवरी १७७८) एक स्वीडिश वनस्पतिशास्त्री, चिकित्सक और जीव विज्ञानी थे, जिन्होने द्विपद नामकरण की आधुनिक अवधारणा की नींव रखी थी। इन्हें आधुनिक वर्गिकी (वर्गीकरण) के पिता के रूप में जाना जाता है साथ ही यह आधुनिक पारिस्थितिकी के प्रणेताओं मे से भी एक हैं।

आरम्भिक जीवन

लीनियस का जन्म दक्षिण स्वीडन के ग्रामीण इलाके स्मालैंड में हुआ था। उनके पिता उनके पूर्वजों में पहले व्यक्ति थे जिन्होने एक स्थायी अंतिम नाम को अपनाया था, उसके पहले इनके पूर्वज स्कैंडिनेवियाई देशों मे प्रचलित पितृनाम प्रणाली का इस्तेमाल किया करते थे। उनके पिता ने इनके पारिवारिक फार्म पर लगे एक एक विशाल ‘लिंडेन’ पेड़ के लैटिन नाम पर आधारित अपना अंतिम नाम लीनियस अपनाया था। १७१७ में इन्होंने वैक्स्जो शहर से अपनी आरंभिक शिक्षा ली और १७२४ में जिम्नेज़ियम साधारण अंकों से उत्तीर्ण किया। उनके वनस्पति विज्ञान में उत्साह ने एक स्थानीय चिकित्सक को आकर्षित किया, जिसे लगा, कि इस बालक में उक्त विषय की प्रतिभा है। उनकी सिफारिश पर कार्ल के पिता ने उन्हें निकटनम विश्वविद्यालय, लुंड विश्वविद्यालय भेजा। कार्ल ने वहां अध्ययन के साथ ही वहां के उपेक्षित जीवविज्ञान उद्यान को भी सुधारा। तब उन्हें उपसाला विश्वविद्यालय जाने की प्रेरणा मिली। कार्ल ने एक ही वर्ष बाद उपसाला के लिए प्रस्थान किया।

प्रसिद्धि

 

इनकी पुस्तक सिस्टेमा नेचुरी का पहला संस्करण नीदरलैंड में प्रकाशित हुआ।

उपसाला में इनका समय आर्थिक तंगी में गुजरा, जब तक ये एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक ओलोफ सेल्सियस से नहीं मिले। ओलोफ खगोलज्ञ ऐन्डर्स सेल्सियस का भतीजा था। ऐन्डर्स सेल्सियस वही थे, जिहोंने थर्मामीटर का आविष्कार किया था और तापमान स्केल को उन्हीं का नाम दिया गया था। सेल्सियस कार्ल के ज्ञान एवं वनस्पति संग्रह से बहुत प्रभावित हुए, तथा उन्हें आवास तथा खाने की सुविधा का प्रस्ताव दिया। अब कार्ल के दिन सुधरे। लीनियस ने उपसाला विश्वविद्यालय से अपनी उच्च शिक्षा ग्रहण की थी और १७३० में वो वहाँ पर वनस्पति विज्ञान के व्याख्यान देने लगे थे। उन्होंने १७३५-१७३८ के बीच विदेश प्रवास किया जहाँ उन्होने आगे की पढ़ाई जारी रखी साथ ही इनकी पुस्तक सिस्टेमा नेचुरी का पहला संस्करण १७३५ में नीदरलैंड में प्रकाशित हुआ। यह पुस्तक प्रथम संस्करण में मात्र ग्यारह पृष्ठों की थी। इसमें दशम संस्करण (१७५८) तक पहुंचते हुए ४४०० से अधिक जंतुओं की प्रजातियों एवं ७७०० से अधिक पादपों की प्रजातियों का वर्गीकरण किया गया था।


उसके बाद यह वापस स्वीडन चले आये और उप्साला विश्वविद्यालय में वनस्पति विज्ञान के प्रोफेसर बन गये। १७४० के दशक मे इन्हें स्वीडन द्वारा जीवों और पादपों की खोज और वर्गीकरण के लिए कई यात्राओं पर भेजा गया। १७५० और १७६० के दशकों में, उन्होने अपना जीवों और पादपों और खनिजों की खोज और वर्गीकरण का काम जारी रखा और इस संबंध मे कई पुस्तके भी प्रकाशित कीं। अपनी मृत्यु के समय लीनियस यूरोप के सबसे प्रशंसित वैज्ञानिकों मे से एक थे।

सम्मान

इनके मरणोपरांत स्वीडन सरकार ने एक १० क्रोनर का नोट निकाला, जिस पर लिनियस का एक रेखाचित्र अंकित था, जिसके पृष्ठभूमि में उप्साला विश्वविद्यालय का दृश्य था।

Readers : 76 Publish Date : 2023-04-13 07:23:14