उडिपी रामचंद्र राव

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उडिपी रामचंद्र राव

नाम :उडिपी रामचंद्र राव
उपनाम :राव भावा, रामुडु, द सैटेलाइट मैन ऑफ इंडिया
जन्म तिथि :10 March 1932
(Age 85 Yr. )
मृत्यु की तिथि :24 July 2017

व्यक्तिगत जीवन

शिक्षा मास्टर ऑफ साइंस, डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी
जाति ब्राह्मण
धर्म/संप्रदाय सनातन
राष्ट्रीयता भारतीय
व्यवसाय भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक
स्थान अदामरु, कर्नाटक, भारत,

शारीरिक संरचना

आँखों का रंग काला
बालों का रंग अर्द्ध गंजा

पारिवारिक विवरण

अभिभावक

पिता : लक्ष्मीनारायण आचार्य
माता : कृष्णावेणी अम्मा

वैवाहिक स्थिति Married
जीवनसाथी

यशोदा राव

बच्चे/शिशु

पुत्र : मदन राव
पुत्री : माला

भाई-बहन

भाई : कृष्णमूर्ति आचार्य, विट्ठल आचार्य, श्रीपति आचार्य

उडिपी रामचंद्र राव भारत के एक अन्तरिक्ष वैज्ञानिक तथा भारतीय उपग्रह कार्यक्रम के वास्तुकार थे। उन्होने भारत में अन्तरिक्ष प्रौद्योगिकी के विकास तथा प्राकृतिक संसाधनों के क्षेत्र में संचार एवं सुदूर संवेदन के विस्तृत अनुप्रयोग के लिये मौलिक योगदान दिया है। वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के भूतपूर्व अध्यक्ष थे। उनके नेतृत्व में ही वर्ष 1975 में भारत का पहला उपग्रह ‘आर्यभट्ट’ को अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया था। वे भारत के प्रथम अंतरिक्ष वैज्ञानिक थे जिन्हें वर्ष 2013 में ‘सैटेलाइट हाल ऑफ द फेम’ में तथा वर्ष 2016 में ‘आईएएफ हाल ऑफ फेम’ में सम्मिलित किया गया था। निधन से पूर्व वे तिरुवनंतपुरम में स्थित भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान के कुलपति के रूप में कार्यरत थे। उनको भारत सरकार द्वारा सन 1976 में विज्ञान एवं अभियान्त्रिकी के क्षेत्र में पद्म भूषण से तथा वर्ष 2017 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।

करियर

कर्नाटक में उडुपी जिले के अडामारू क्षेत्र में जन्मे राव इसरो के सभी अभियानों में किसी न किसी तरह शामिल थे। 1960 में अपने कैरियर की शुरुआत के बाद से भारत में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के विकास में खासकर संचार और प्राकृतिक संसाधनों के सुदूर संवेदन के व्यापक उपयोगों में योगदान दिया है। वे इसरो उपग्रह केंद्र के प्रथम निदेशक थे। 1976 से 1984 तक केन्द्र के निदेशक के रूप में अपने कार्यकाल में, वे देश में उपग्रह प्रौद्योगिकी के विकास में अग्रणी पथ प्रदर्शक रहे। उन्होने 1972 में भारत में उपग्रह प्रौद्योगिकी की स्थापना के लिये ज़िम्मेदारी ली। उनके मार्गदर्शन में, 1975 में प्रथम भारतीय उपग्रह ‘आर्यभट्ट’ संचार, सुदूर संवेदन तथा मौसम विज्ञान सेवाएँ उपलब्ध कराने के लिए 18 से भी ज़्यादा उपग्रहों की अभिकल्पना एवं प्रमोचित की गई। 1984 में अध्यक्ष, अन्तरिक्ष आयोग एवं सचिव, अंतरिक्ष विभाग के रूप में कार्यभार संभालने के उपरांत, उन्होने रॉकेट प्रौद्योगिकी के विकास को आगे बढ़ाया। परिणामस्वरुप ए.एस.एल.वी. रॉकेट तथा प्रचालनात्मक पी.एस.एल.वी. प्रमोचन यान जो ध्रुवीय कक्षा में २.० टन श्रेणी के उपग्रहों को प्रमोचित कर सकता है का प्रमोचन सफलता पूर्वक किया गया। उन्होने 1991 में भू-स्थिर प्रमोचन यान जी.एस.एल.वी. के विकास एवं निम्नतापीय (क्रायोजेनिक) प्रौद्योगिकी के विकास की शुरुआत की। निधन से पूर्व वे अहमदाबाद के भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला के शांसकीय परिषद के अध्यक्ष थे। एम.आई.टी. में संकाय सदस्य के रूप में कार्य करने के उपरांत डल्लास के टेक्सास विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर रहे जहाँ उन्होंने कई अग्रणी तथा अन्वेषक अंतरिक्षयानों पर प्रमुख प्रयोगकर्ता के रूप में अन्वेषण किए, वे 1966 में भारत वापस लौटे और भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला, अहमदाबाद के प्रोफेसर बने। उन्होने कॉस्मिक किरणें, अंतरग्रहीय भौतिकी, उच्च ऊर्जा खगोलिकी, अंतरिक्ष अनुप्रयोग एवम् उपग्रह तथा रॉकेट प्रौद्योगिकी विषयों पर 350 से भी अधिक वैज्ञानिक एवम् तकनीकी लेख प्रकाशित किए हैं और कई किताबें लिखी हैं। वे 21 से भी अधिक विश्वविद्यालयों से डी.एस.सी. (मानद डाक्टरेट्) के भी प्राप्त कर्ता है, जिनमें यूरोप का सबसे पुराना विश्वविद्यालय, बोलोगना विश्वविद्यालय भी शामिल है।

निधन

श्री राव का निधन 24 जुलाई 2017 को हृदयाघात के पश्चात लम्बी बीमारी के कारण हो गया।

Readers : 80 Publish Date : 2023-08-07 03:53:36