अभिजीत बनर्जी
अभिजीत बनर्जी
(Age 62 Yr. )
व्यक्तिगत जीवन
शिक्षा | पीएच.डी. अर्थशास्त्र में |
राष्ट्रीयता | भारतीय मूल के अमेरिकी |
व्यवसाय | अर्थशास्त्री |
स्थान | मुंबई, महाराष्ट्र, भारत, |
शारीरिक संरचना
ऊंचाई | लगभग 5.10 फ़ीट |
आँखों का रंग | काला |
बालों का रंग | स्लेटी |
पारिवारिक विवरण
अभिभावक | पिता : दीपक बनर्जी |
वैवाहिक स्थिति | Married |
जीवनसाथी | अरुंधति तुली बनर्जी, एस्थर डुफ्लो |
बच्चे/शिशु | पुत्र : कबीर बनर्जी |
भाई-बहन | भाई : अनिरुद्ध |
पसंद
भोजन | विदेशी लखनऊ स्टाइल कबाब |
खेल | क्रिकेट, टेबल टेनिस |
Index
1. प्रारंभिक जीवन |
2. व्यवसाय |
3. अनुसंधान |
4. नोबेल पुरस्कार |
5. अभिरुचि |
6. व्यक्तिगत जीवन |
7. मोदी सरकार की आलोचना |
8. प्रकाशन |
अभिजीत विनायक बनर्जी (जन्म : 1961 ) एक प्रख्यात भारतीय-अमेरिकी अर्थशास्त्री हैं जिन्हें एस्थर डुफ्लो और माइकल क्रेमर के साथ संयुक्त रूप से सन २०१९ का अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। उन्होंने "ऐसे शोध किए जो वैश्विक ग़रीबी से लड़ने की हमारी क्षमता में काफ़ी सुधार करते है"। वे मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में अर्थशास्त्र के फोर्ड फाउंडेशन इंटरनेशनल प्रोफेसर हैं। अपनी पत्नी एस्थर डफ्लो के साथ संयुक्त रूप से नोबेल पुरस्कार जीतने वाले छठे विवाहित जोड़े हैं।
प्रारंभिक जीवन
बनर्जी का जन्म कलकत्ता, भारत में हुआ था। उनकी माता निर्मला बनर्जी, सेंटर फॉर स्टडीज़ इन सोशल साइंसेज, कलकत्ता में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर थीं, और पिता दीपक बनर्जी, एक प्रोफेसर और कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में अर्थशास्त्र विभाग के प्रमुख थे।
उन्होंने साउथ प्वाइंट हाई स्कूल में पढ़ाई की। स्कूली शिक्षा के बाद, उन्होंने साल 1981 में कलकत्ता विश्वविद्यालय के प्रेसिडेंसी कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक किया। बाद में, उन्होंने 1983 में दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में अर्थशास्त्र में एमए किया। जेएनयू के तत्कालीन वाइस चांसलर पीएन श्रीवास्तव का विरोध करने के बाद छात्रों के घेराव करने पर उन्हें गिरफ्तार किया गया और तिहाड़ जेल में डाल दिया गया। बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया और छात्रों के खिलाफ आरोप हटा दिए गए।
2016 में एक लेख में उन्होंने ये भी बताया था कि उन्हें किस तरह से 1983 में अपने दोस्तों के साथ तिहाड़ जेल में रहना पड़ा था, तब जेएनयू के वाइस चांसलर को इन छात्रों से अपनी जान को ख़तरा हुआ था. अपने आलेख में उन्होंने लिखा था,
“ये 1983 की गर्मियों की बात है. हम जेएनयू के छात्रों ने वाइस चांसलर का घेराव किया था. वे उस वक्त हमारे स्टुडेंट यूनियन के अध्यक्ष को कैंपस से निष्कासित करना चाहते थे. घेराव प्रदर्शन के दौरान देश में कांग्रेस की सरकार थी पुलिस आकर सैकड़ों छात्रों को उठाकर ले गई. हमें दस दिन तक तिहाड़ जेल में रहना पड़ा था, पिटाई भी हुई थी. लेकिन तब राजद्रोह जैसा मुकदमा नहीं होता था. हत्या की कोशिश के आरोप लगे थे. दस दिन जेल में रहना पड़ा था.”
बाद में, उन्होंने 1988 में हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। उनके डॉक्टरेट की थीसिस का विषय Essays in Information Economics ("सूचना अर्थशास्त्र में निबंध") था।
व्यवसाय
हार्वर्ड और प्रिंसटन विश्वविद्यालय में पढ़ाने के बाद बनर्जी वर्तमान में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में फोर्ड फाउंडेशन इंटरनेशनल के अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं।
उन्होंने 1988 में प्रिंस्टन विश्वविद्यालय में पढ़ाना शुरू किया। 1992 में उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय में भी पढ़ाया. इसके बाद 1993 में उन्होंने एमआईटी में पढ़ाना और शोध कार्य शुरू किया जहां पर वह अभी तक अध्यापन और रिसर्च का काम कर रहे हैं। इसी दौरान 2003 में उन्होंने एमआईटी में अब्दुल लतीफ़ जमील पोवर्टी एक्शन लैब की शुरुआत की और वह इसके डायरेक्टर बने. यह लैब उन्होंने इश्तर डूफ़लो और सेंथिल मुल्लईनाथन के साथ शुरू की। यह लैब एक वैश्विक शोध केंद्र है जो ग़रीबी कम करने की नीतियों पर काम करती है। यह लैब एक नेटवर्क का काम भी करती है जिससे दुनिया के विश्वविद्यालयों के 181 प्रोफ़ेसर जुड़े हुए हैं।
2003 में ही बनर्जी को अर्थशास्त्र का फ़ोर्ड फ़ाउंडेशन इंटरनेशनल प्रोफ़ेसर बनाया गया।
उन्हें 2004 में अमेरिकन एकेडमी ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज का पार्ट्नर चुना गया।उन्हें अर्थशास्त्र के सामाजिक विज्ञान श्रेणी में इन्फोसिस पुरस्कार 2009 से भी सम्मानित किया गया था। वह सामाजिक विज्ञान (अर्थशास्त्र) की श्रेणी में इन्फोसिस पुरस्कार के पहले प्राप्तकर्ता भी हैं।
2012 में, उन्होंने अपनी पुस्तक पुअर इकोनॉमिक्स के लिए सह-लेखक एस्थर डफ्लो के साथ जेराल्ड लोब अवार्ड (ऑनरबल मेंशन फॉर बिजनेस बुक) साझा किया।
अनुसंधान
बनर्जी और उनके सहकर्मी लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए कार्यों की प्रभावशीलता (जैसे सरकारी कार्यक्रम) को मापने की कोशिश करते हैं। इसके लिए, वे चिकित्सा अनुसंधान में नैदानिक परीक्षणों के समान यादृच्छिक नियंत्रण परीक्षण का उपयोग करते हैं। उदाहरण के लिए, हालांकि भारत में पोलियो टीकाकरण स्वतंत्र रूप से उपलब्ध है, कई माताएं अपने बच्चों को टीकाकरण अभियान के लिए नहीं ला रही थीं। बनर्जी और प्रोफ़ेसर एस्थर डुफ्लो (मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान) ने राजस्थान में एक प्रयोग करने की कोशिश की, जहां उन्होंने माताओं को अपने बच्चों को टीका लगाने वाले बच्चों को दाल का एक बैग भेंट किया। जल्द ही, इस क्षेत्र में प्रतिरक्षण दर बढ़ गई। एक अन्य प्रयोग में, उन्होंने पाया कि स्कूलों में सीखने के परिणामों में सुधार हुआ है जो दिव्यांग छात्रों मदद करने के लिए शिक्षण सहायता प्रदान की गई थी।
नोबेल पुरस्कार
अभिजीत विनायक बनर्जी को 2019 का अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया गया। यह पुरस्कार उन्हें उनकी पत्नी इश्तर डूफलो और माइकल क्रेमर के साथ संयुक्त रूप से दिया गया।
अभिजीत और 46 वर्षीय डूफ़लो एकसाथ ही एमआईटी में अर्थशास्त्र पढ़ाते हैं जबकि क्रेमर हार्वर्ड विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर हैं. डूफ़लो फ़्रांस की रहने वाली हैं और उनकी शुरुआती पढ़ाई पेरिस में हुई है।
नोबेल पुरस्कार देने वाली रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ़ साइंसेज़ ने अपने बयान में कहा है, "2019 के अर्थशास्त्र पुरस्कार के इन विजेताओं ने ऐसे शोध किए जो वैश्विक ग़रीबी से लड़ने की हमारी क्षमता में काफ़ी सुधार करता है।"
इस बयान में आगे कहा गया है कि सिर्फ़ दो दशकों में इनके नए शोध ने अर्थशास्त्र के विकास को बदल दिया है जो अब रिसर्च का एक उत्कृष्ट क्षेत्र है।
उनका नाम यादृच्छिक नियंत्रण परीक्षण का प्रयोग करने वाले अग्रणी अर्थशास्त्रियों में शुमार है।
अभिरुचि
अभिजीत बनर्जी की अर्थशास्त्र के कई क्षेत्रों में रुचि है जिसमें से चार अहम हैं. पहला आर्थिक विकास, दूसरा सूचना सिद्धांत, तीसरा आय वितरण का सिद्धांत और चौथा मैक्रो इकोनॉमिक्स है.
व्यक्तिगत जीवन
अभिजीत बनर्जी ने एमआईटी में साहित्य की व्याख्याता डॉ॰ अरुंधति तुली बनर्जी से शादी की थी। तलाक से पहले अभिजीत और अरुंधति का एक बेटा था। इस इकलौती संतान का भी असामयिक निधन हो गया।
अभिजीत का एस्तेर डफ़्लो के साथ एक बच्चा (जन्म 2012) है। बैनर्जी 1999 में एमआईटी में अर्थशास्त्र में डूफ़लो के पीएचडी के संयुक्त पर्यवेक्षक थे। डफ़्लो MIT में गरीबी उन्मूलन और विकास अर्थशास्त्र के प्रोफेसर भी हैं। बनर्जी और डफ्लो ने 2015 में औपचारिक रूप से एक-दूसरे से शादी की।
मोदी सरकार की आलोचना
अभिजीत बनर्जी समय समय पर मोदी सरकार की नीतियों की ख़ूब आलोचना कर चुके हैं। इसके साथ ही वे विपक्षी कांग्रेस पार्टी की मुख्य चुनावी अभियान न्याय योजना का खाका भी तैयार कर चुके हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने भी उन्होंने पुरस्कार जीतने की बधाई दी है।
मोदी सरकार के सबसे बड़े आर्थिक फैसले नोटबंदी के ठीक पचास दिन बाद फोर्ड फाउंडेशन-एमआईटी में इंटरनेशनल प्रोफेसर ऑफ़ इकॉनामिक्स बनर्जी ने न्यूज़ 18 को दिए एक इंटरव्यू में कहा था, “मैं इस फ़ैसले के पीछे के लॉजिक को नहीं समझ पाया हूं। जैसे कि 2000 रुपये के नोट क्यों जारी किए गए हैं। मेरे ख्याल से इस फ़ैसले के चलते जितना संकट बताया जा रहा है उससे यह संकट कहीं ज्यादा बड़ा है।”
इतना ही नहीं वे उन 108 अर्थशास्त्रियों के पैनल में शामिल रहे जिन्होंने मोदी सरकार पर देश के जीडीपी के वास्तविक आंकड़ों में हेरफेर करने का आरोप लगाया था। इसमें ज्यां द्रेज, जयति घोष, ऋतिका खेड़ा जैसे अर्थशास्त्री शामिल थे।
जब अभिजीत बनर्जी को नोबेल पुरस्कार दिए जाने की घोषणा हुई तो कई अर्थशास्त्रियों ने उनके योगदान को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के हार्ड वर्क से जोड़कर बताना शुरू किया है। यह एक तरह के प्रधानमंत्री मोदी के उस बयान के चलते ही किया गया जिसमें उन्होंने कहा था- “हार्ड वर्क हार्वर्ड से कहीं ज़्यादा ताक़तवर होता है।”
प्रकाशन
पुस्तकें
- Aghion, Philippe; Banerjee, Abhijit (2005). Volatility And Growth. Oxford: ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780199248612. Aghion, Philippe; Banerjee, Abhijit (2005). Volatility And Growth. Oxford: ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780199248612. Aghion, Philippe; Banerjee, Abhijit (2005). Volatility And Growth. Oxford: ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780199248612.
- Banerjee, Abhijit Vinayak; Bénabou, Roland; Mookherjee, Dilip, संपा॰ (2006). Understanding Poverty. Oxford; New York: ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780195305203. Banerjee, Abhijit Vinayak; Bénabou, Roland; Mookherjee, Dilip, संपा॰ (2006). Understanding Poverty. Oxford; New York: ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780195305203. Banerjee, Abhijit Vinayak; Bénabou, Roland; Mookherjee, Dilip, संपा॰ (2006). Understanding Poverty. Oxford; New York: ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780195305203.
- Banerjee, Abhijit Vinayak (2005). Making Aid Work. Cambridge: MIT Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780262026154. Banerjee, Abhijit Vinayak (2005). Making Aid Work. Cambridge: MIT Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780262026154. Banerjee, Abhijit Vinayak (2005). Making Aid Work. Cambridge: MIT Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780262026154.
- Banerjee, Abhijit V.; Duflo, Esther (2011). Poor Economics: A Radical Rethinking of the Way to Fight Global Poverty. New York: PublicAffairs. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9781610390408. Banerjee, Abhijit V.; Duflo, Esther (2011). Poor Economics: A Radical Rethinking of the Way to Fight Global Poverty. New York: PublicAffairs. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9781610390408. Banerjee, Abhijit V.; Duflo, Esther (2011). Poor Economics: A Radical Rethinking of the Way to Fight Global Poverty. New York: PublicAffairs. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9781610390408.
- Banerjee, Abhijit Vinayak; Duflo, Esther, संपा॰ (2017). Handbook of Field Experiments, Volume 1. North–Holland (an imprint of Elsevier). आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780444633248. Banerjee, Abhijit Vinayak; Duflo, Esther, संपा॰ (2017). Handbook of Field Experiments, Volume 1. North–Holland (an imprint of Elsevier). आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780444633248. Banerjee, Abhijit Vinayak; Duflo, Esther, संपा॰ (2017). Handbook of Field Experiments, Volume 1. North–Holland (an imprint of Elsevier). आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780444633248.
- Banerjee, Abhijit Vinayak; Duflo, Esther, संपा॰ (2017). Handbook of Field Experiments, Volume 2. North–Holland (an imprint of Elsevier). आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780444640116. Banerjee, Abhijit Vinayak; Duflo, Esther, संपा॰ (2017). Handbook of Field Experiments, Volume 2. North–Holland (an imprint of Elsevier). आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780444640116. Banerjee, Abhijit Vinayak; Duflo, Esther, संपा॰ (2017). Handbook of Field Experiments, Volume 2. North–Holland (an imprint of Elsevier). आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780444640116.
- बनर्जी, अभिजीत विनायक (2019)। गरीबी माप का एक छोटा इतिहास। बाजीगर किताबें ।