वेंकैया नायडू

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वेंकैया नायडू

नाम :मुप्पवरपु वेंकय्य नायुडु
जन्म तिथि :01 July 1949
(Age 74 Yr. )

व्यक्तिगत जीवन

शिक्षा राजनीति और राजनयिक अध्ययन में स्नातक की डिग्री एल.एल.बी.
धर्म/संप्रदाय सनातन
राष्ट्रीयता भारतीय
व्यवसाय भारतीय राजनीतिज्ञ
स्थान चावतपालेम, नेल्लोर, मद्रास प्रांत,

शारीरिक संरचना

ऊंचाई लगभग 5.9 फ़ीट
वज़न लगभग 75 किग्रा
आँखों का रंग काला
बालों का रंग काला

पारिवारिक विवरण

अभिभावक

पिता : स्वर्गीय रंगैया नायडू
माता : स्वर्गीय रामनम्मा

वैवाहिक स्थिति Married
जीवनसाथी

उषा नायडू (जन्म 1971-वर्तमान)

बच्चे/शिशु

बेटा : हर्षवर्द्धन नायडू
बेटी : दीपा वेंकट

मुप्पवरपु वेंकय्य नायुडु भारत के भूतपूर्व उपराष्ट्रपति (१४वें) हैं। वे 2002 से 2004 तक भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। केंद्र में विभिन्न विभागों के मंत्री पदों को भी सुशोभित कर चुके है। भारत के सत्ताधारी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक संघ (एनडीए) ने 17 जुलाई 2017 को उन्हें भारत के उपराष्ट्रपति पद का प्रत्याशी घोषित किया। 5 अगस्त 2017 को हुए चुनाव में गोपालकृष्ण गाँधी को पराजित करके वे भारत के तेरहवें उपराष्ट्रपति निर्वाचित हुए और 11 अगस्त 2017 को उपराष्ट्रपति बने।

प्रारंभिक जीवन

वेंकैया नायडू का जन्म |1 जुलाई 1949 को आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले के चावटपलेम में एक कम्मा (किसान परिवार) में हुआ था। उन्होंने वी.आर. हाई स्कूल, नेल्लोर से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और वी.आर. कॉलेज से राजनीति तथा राजनयिक अध्ययन में स्नातक किया। वे स्नातक प्रतिष्ठा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुये। तत्पश्चात उन्होंने आन्ध्र विश्वविद्यालय, विशाखापत्तनम से कानून में स्नातक की डिग्री हासिल की। 1974 में वे आंध्र विश्वविद्यालय में छात्र संघ के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित हुये। कुछ दिनों तक वे आंध्र प्रदेश के छात्र संगठन समिति के संयोजक भी रह चुके हैं।

राजनीतिक जीवन

वेंकैया नायडू की पहचान हमेशा एक 'आन्दोलनकारी' के रूप में रही है। वे 1972 में 'जय आन्ध्र आन्दोलन' के दौरान पहली बार सुर्खियों में आए। उन्होंने इस दौरान नेल्लोर के आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेते हुये विजयवाड़ा से आंदोलन का नेतृत्व किया। छात्र जीवन में उन्होने लोकनायक जयप्रकाश नारायण की विचारधारा से प्रभावित होकर आपातकालीन संघर्ष में हिस्सा लिया। वे आपातकाल के विरोध में सड़कों पर उतर आए और उन्हें जेल भी जाना पड़ा। आपातकाल के बाद वे 1977 से 1980 तक जनता पार्टी के युवा शाखा के अध्यक्ष रहे। वर्ष 2002 से 2004 तक उन्होने भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का उतरदायित्व निभाया। वे अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री रहे और नरेन्द्र मोदी की सरकार में वे भारत सरकार के अंतर्गत शहरी विकास, आवास तथा शहरी गरीबी उन्‍मूलन तथा संसदीय कार्य मंत्री रहे। ११ अगस्त २०१७ को वेभारत के उपराष्ट्रपति चुने गये।

वेंकय्या नायुडु 'स्वर्ण भारत ट्रस्ट' नामक एक समाज-सेवी संगठन से भी जुड़े हुए हैं जिसकी स्थपना उन्होने कुछ मित्रों के साथ मिलकर २००१ में नेल्लोर में की थी। यह संस्था निर्धन लोगों, अनाथों और विशेष आवश्यकता वाले लोगों के लिये विद्यालय चलाती है तथा युवाओं एवं स्त्रियों के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाती है।

अपने भाषणों में तुकान्त शब्दों का प्रयोग करके वे अपनी बात सरस ढंग से प्रस्तुत करने में सिद्धहस्त हैं। अपनी मातृभाषा तेलुगु के साथ वे हिन्दी और अंग्रेजी में भाषण करते हैं। वे गम्भीर चिन्तक भी हैं। अगस्त २०१७ में उनकी पुस्तक 'टायरलेस वॉयस रिलेन्टलेस जर्नी' का विमोचन हुआ। फरवरी २०१८ में उनकी पुस्तक 'मूविंग ऑन मूविंग फॉरवर्ड, वन ईयर इन ऑफिस' प्रकाशित हुई थी। हाल ही में (अगस्त २०१९) उनकी एक पुस्तक प्रकाशित हुई है जिसका नाम है- 'लिस्निंग, लर्निग एंड लीडिंग'।

मातृभाषा के प्रबल समर्थक

वेंकैया नायडू मातृभाषा के अधिकाधिक प्रयोग के प्रबल पक्षधर हैं। अपने लगभग सभी भाषणों में वे मातृभाषा के महत्व का उल्लेख करना नहीं भूलते। सन २०१७ में तेलुगू साहित्यिक संगठन तेलंगाना सारस्वत परिषद के 75वें वार्षिकोत्सव के उद्घाटन के मौके पर नायडू ने कहा था, ‘मैंने मातृभाषा के संरक्षण का लक्ष्य तय किया है। देश में मूल भाषा चाहे वह तेलुगू, तमिल, मराठी, कन्नड़, पंजाबी, बंगाली, या असमिया हो, उसका संरक्षण जरूरी है। सांस्कृतिक पुनरुत्थान की तरह सभी भाषाओं के प्रोत्साहन की भी आवश्यकता है। इन भाषाओं की मिठास और सुगन्ध को युवा पीढ़ी तक ले जाना जरूरी है। मैं जहां कहीं भी जाता हूं वहां की भाषा के बारे में बातें करता हूँ।’ वे मातृभषा में ही स्कूली शिक्षा दिए जाने के पक्षधर हैं। वे कहते हैं कि मातृभाषा आपकी आँखें हैं और अन्य भाषाएँ चश्मा। श्री नायडू समय-समय पर भारत में हिन्दी के महत्व को भी प्रतिपादित करते रहते हैं। उनका मत है कि राष्ट्रभाषा के रूप में हिन्दी बहुत महत्वपूर्ण है, इसके बिना हमारा काम नहीं चल सकता, हमारे देश में अधिकतर लोग हिन्दी बोलते हैं, ऐसे में हिन्दी सीखना भी महत्वपूर्ण है। वे चाहते हैं कि संसद में भी हिन्दी का अधिकाधिक प्रयोग हो। अंग्रेजी के बारे में वे कहते हैं कि अंग्रेजी एक बीमारी है जिसे अंग्रेज जाते-जाते छोड़ गए।

प्रमुख उतरदायित्व

  • 1973-1974 : अध्यक्ष, छात्र संघ, आन्ध्र विश्वविद्यालय
  • 1974 : संयोजक, लोक नायक जय प्रकाश नारायण युवजन छात्र संघर्ष समिति, आंध्र प्रदेश
  • 1977-1980 : अध्यक्ष, जनता पार्टी की युवा शाखा, आंध्र प्रदेश
  • 1978-85 : सदस्य, विधान सभा, आंध्र प्रदेश (दो बार)
  • 1980-1985 : नेता, आंध्र प्रदेश भाजपा विधायक दल
  • 1985-1988 : महासचिव, आंध्र प्रदेश राज्य भाजपा
  • 1988-1993 : अध्यक्ष, आंध्र प्रदेश राज्य भाजपा
  • 1993 - सितंबर, 2000 : राष्ट्रीय महासचिव, भारतीय जनता पार्टी, सचिव, भाजपा संसदीय बोर्ड, सचिव, भाजपा केंद्रीय चुनाव समिति, भाजपा के प्रवक्ता
  • 1998 के बाद : सदस्य, कर्नाटक से राज्यसभा (तीन बार)
  • 1 जुलाई 2002 से 30 सितंबर 2000 : भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री
  • 1 जुलाई 2002 से 5 अक्टूबर 2004 : भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष
  • अप्रैल 2005 के बाद : भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
  • 26 मई 2014 - 2017 : शहरी विकास, गृहनिर्माण एवं गरीबी निवारण और संसदीय मामलों के केंद्रीय मंत्री
  • 2016–2017 : सूचना एवं प्रसारण मंत्री
  • 5 अगस्त 2017 : भारत के तेरहवें उपराष्ट्रपति निर्वाचित हुए।
  • 11 अगस्त 2017 : भारत के १३वें वर्तमान उपराष्ट्रपति बने।
  • १० अगस्त २०२२ : सेवाकाल समाप्त होने के पश्चात उपराष्ट्रपति पद से सेवानिवृत
Readers : 119 Publish Date : 2023-08-10 05:01:33