उदयसिंह द्वितीय
उदयसिंह द्वितीय
(Age 49 Yr. )
व्यक्तिगत जीवन
धर्म/संप्रदाय | सनातन |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
व्यवसाय | मेवाड़ के महाराणा |
स्थान | चित्तौड़गढ़ दुर्ग, राजस्थान, भारत, |
शारीरिक संरचना
आँखों का रंग | काला |
बालों का रंग | काला |
पारिवारिक विवरण
अभिभावक | पिता : राणा सांगा |
वैवाहिक स्थिति | Married |
जीवनसाथी | महारानी जयवंता बाई |
बच्चे/शिशु | पुत्र : महाराणा प्रताप, जगमाल सिंह, शक्ति सिंह, मान कुँवर, सागर सिंह, हरि सिंह, राम सिंह |
भाई-बहन | भाई : भोज राज |
उदयसिंह द्वितीय मेवाड़ के एक महाराणा और उदयपुर शहर के संस्थापक थे। ये मेवाड़ साम्राज्य के ५३वें शासक थे। उदयसिंह मेवाड़ के शासक राणा सांगा (संग्राम सिंह) के चौथे पुत्र थे जबकि बूंदी की रानी, कर्णावती इनकी माँ थीं।
व्यक्तिगत जीवन
उदयसिंह का जन्म चित्तौड़गढ़ में अगस्त १५२२ में हुआ था । इनके पिता महाराणा सांगा के निधन के बाद रतन सिंह द्वितीय को नया शासक नियुक्त किया गया। रत्न सिंह ने १५३१ में शासन किया था। राणा विक्रमादित्य सिंह के शासनकाल के दौरान तुर्की के सुल्तान गुजरात के बहादुर शाह ने चित्तौड़गढ़ पर १५३४ में हमला कर दिया था, इस कारण उदयसिंह को बूंदी भेज दिया था ताकि उदयसिंह सुरक्षित रह सके। १५३७ में बनवीर ने विक्रमादित्य का गला घोंटकर हत्या कर दी थी और उसके बाद उन्होंने उदयसिंह को भी मारने का प्रयास किया लेकिन उदयसिंह की धाय पन्ना धाय ने उदयसिंह को बचाने के लिए अपने पुत्र चन्दन का बलिदान दे दिया था इस कारण उदयसिंह ज़िंदा रह सके थे ,पन्ना धाय ने यह जानकारी किसी को नहीं दी थी कि बनवीर ने जिसको मारा है वो उदयसिंह नहीं बल्कि उनका पुत्र चन्दन था। इसके बाद पन्ना धाय बूंदी में रहने लगी। लेकिन उदयसिंह को आने जाने और मिलने की अनुमति नहीं दी।और उदयसिंह को खुफिया तरीक से कुम्भलगढ़ में २ सालों तक रहना पड़ा था।
इसके बाद १५४० में कुम्भलगढ़ में उदयसिंह का राजतिलक किया गया और मेवाड़ का राणा बनाया गया। उदयसिंह के सबसे बड़े पुत्र का नाम महाराणा प्रताप था जबकि पहली पत्नी का नाम महारानी जयवंताबाई था। कुछ किवदन्तियों के अनुसार उदयसिंह की कुल २२ पत्नियां और ५६ पुत्र और २२ पुत्रियां थी। उदयसिंह की दूसरी पत्नी का नाम सज्जा बाई सोलंकी था जिन्होंने शक्ति सिंह और विक्रम सिंह को जन्म दिया था जबकि जगमाल सिंह ,चांदकंवर और मांकनवर को जन्म धीरबाई भटियानी ने दिया था ,ये उदयसिंह की सबसे पसंदीदा पत्नी थी। इनके अलावा इनकी चौथी पत्नी रानी वीरबाई झाला थी जिन्होंने जेठ सिंह को जन्म दिया था।
कार्य
१५४१ ईस्वी में वे मेवाड़ के राणा हुए और कुछ ही दिनों के बाद अकबर ने मेवाड़ की राजधानी चित्तौड़ पर चढ़ाई की। हजारों मेवाड़ियों की मृत्यु के बाद जब लगा कि गढ़ अब न बचेगा तब जयमल और फत्ता आदि वीरों के हाथ में उसे छोड़ उदयसिंह अरावली के घने जंगलों में चले गए। वहाँ उन्होंने नदी की बाढ़ रोक उदयसागर नामक सरोवर का निर्माण किया था। वहीं उन्होंने अपनी नई राजधानी उदयपुर बसाई। चित्तौड़ के विध्वंस के चार वर्ष बाद उदयसिंह का देहांत हो गया था और अगला शासक जगमाल सिंह को बनाया गयाथा लेकिन कुछ ही दिनों बाद जगमाल को हटा कर महाराणा प्रताप को गद्दी पर बैठाया गया।
युद्ध
उदयसिंह की कोई बड़ी उपलब्धियां नहीं रही. सैनिक सफलता के पैमाने पर संभवत यह गुहिल वंश के सबसे कमजोर शासक साबित हुए. 1543 में जब शेरशाह सूरी ने चित्तौड़ पर आक्रमण करने की खबर आई तो इन्होने अपने दूत को भिजवाकर किले की चाबियां सूरी को सौप दी थी. ऐसा करके इन्होने किले के नुक्सान को तो बचा लिया मगर लड़ने से पहले ही हार स्वीकार कर ली थी. इन्होने अरावली की उपत्यकाओं के मध्य उदयपुर शहर की स्थापना की.