रवीश कुमार
रवीश कुमार
(Age 48 Yr. )
व्यक्तिगत जीवन
शिक्षा | पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा |
जाति | भूमिहार ब्राह्मण |
धर्म/संप्रदाय | सनातन |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
व्यवसाय | पत्रकार, टीवी एंकर, लेखक |
स्थान | जितवारपुर गांव, अरेराज, पूर्वी चम्पारण जिला, बिहार, भारत, |
शारीरिक संरचना
ऊंचाई | लगभग 6 फ़ीट |
आँखों का रंग | काला |
बालों का रंग | स्लेटी |
पारिवारिक विवरण
अभिभावक | पिता : बलिराम पांडे |
वैवाहिक स्थिति | Married |
जीवनसाथी | नयना दासगुप्ता |
बच्चे/शिशु | बेटियाँ : 2 |
भाई-बहन | भाई : ब्रजेश कुमार पांडे |
पसंद
भोजन | किशोर कुमार, लता मंगेशकर, मुकेश, मोहम्मद अजीज |
अभिनेता | अमिताभ बच्चन |
रवीश कुमार एक भारतीय पत्रकार हैं। रवीश एनडीटीवी समाचार नेटवर्क के हिंदी समाचार चैनल 'एनडीटीवी इंडिया' में संपादक थे, और चैनल के प्रमुख कार्यक्रमों जैसे हम लोग और रवीश की रिपोर्ट के होस्ट रहे हैं। रवीश कुमार का प्राइम टाइम शो के साथ देश की बात भी वर्तमान में काफी लोकप्रिय है। २०१६ में "द इंडियन एक्सप्रेस" ने अपनी '१०० सबसे प्रभावशाली भारतीयों' की सूची में उन्हें भी शामिल किया था।
बचपन और शिक्षा
रवीश कुमार का जन्म 5 दिसंबर 1974 को बिहार के पूर्व चंपारन जिले के अरेराज के पास जितवारपुर गांव में बलिराम पांडे और यशोदा पांडे के घर हुआ था। उन्होंने लोयोला हाई स्कूल, पटना, से अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की, और फिर उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए वह दिल्ली आ गये। दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक उपाधि प्राप्त करने के बाद उन्होंने भारतीय जन संचार संस्थान (IIMC) से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा प्राप्त किया।
पुरस्कार
हिन्दी पत्रिका रंग में गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार २०१० के लिये राष्ट्रपति के हाथों (२०१४ में प्रदान किया गया).
पत्रिका रंग में रामनाथ गोयंका पुरस्कार - २०१३
इंडियन टेलिविजन पुरस्कार - २०१४ - उत्तम हिन्दी एंकर
कुलदीप नायर पुरस्कार - २०१७ - पत्रकारिता क्षेत्र में उनके योगदानों के लिए।
रेमन मैगसेसे पुरस्कार - अगस्त २०१९ - पत्रकारिता क्षेत्र में यह कहकर उनको सम्मानित किया गया कि उन्होंने गरीबों की आवाज सार्वजनिक मंच पर उठाई
पुस्तकें
रवीश कुमार ने कुल पांच पुस्तकें लिखी हैं:
- इश्क में शहर होना
- देखते रहिये
- रवीशपन्ती
- द फ्री वॉइस: ऑन डेमोक्रेसी, कल्चर एंड द नेशन
- बोलना ही है : लोकतंत्र, संस्कृति और राष्ट्र के बारे में
बोलना ही है
रवीश कुमार की यह पुस्तक राजकमल प्रकाशन द्वारा सन २०१९ में प्रकाशित की गयी। द प्रिन्ट के अनुसार यह किताब पिछले कुछ सालों के भारत की यथार्थ गाथा है जिसे तथ्यों के सहारे बुना गया है और समाज में नागरिक के भीड़ बनने की प्रक्रिया को बताया गया है।
यह किताब अंग्रेजी में ‘द फ़्री वॉयस : ऑन द डेमोक्रेसी, कल्चर एन्ड द नेशन’ (The Free Voice : On Democracy, Culture and the Nation) के नाम से छपी है। इसके अलावा कन्नड़, मराठी और नेेपाली भाषा में इस किताब का अनुवाद हो चुका है। अपनी मूल भाषा हिंदी में यह किताब दो नए लेखों के साथ अक्टूबर, 2019 में छपी। इस किताब को राजकमल प्रकाशन ने छापा है।
भूमिका के अलावा इस पुस्तक में 12 लेख शामिल हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं :-
- बोलना
- रोबो-पब्लिक और नए लोकतंत्र का निर्माण
- डर का रोज़गार
- जहां भीड़, वहीं हिटलर का जर्मनी
- जनता होने का अधिकार
- बाबाओं के बाज़ार में आप और हम
- हम सबके जीवन में प्रेम
- निजता का अधिकार : संविधान की किताब में एक सुंदर-सी कविता
- डरपोक क़िस्म की नागरिकता गढ़ता मुख्यधारा मीडिया
- 2019 में 1984 पढ़ते हुए
- पंद्रह अगस्त को एक आइसक्रीम ज़रूर खाएँ
- नागरिक पत्रकारिता की ताक़त
नौवां लेख 24 फ़रवरी, 2019 को नई दिल्ली में आयोजित ‘द वायर डायलॉग्स’ में दिए गए भाषण का संपादित पाठ है। बारहवां और आख़िरी लेख 6 सितंबर, 2019 को मनीला में रैमॉन मैगसेसे सेंटर में दिए गए भाषण का संपादित पाठ है जहाँ रवीश कुमार को रैमॉन मैगसेसे पुरस्कार से नवाज़ा गया था।