किशोर कुमार

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किशोर कुमार

नाम :किशोर कुमार
जन्म तिथि :04 August 1929
(Age 58 Yr. )
मृत्यु की तिथि :13 October 1987

व्यक्तिगत जीवन

शिक्षा स्नातक
जाति बंगाली कान्यकुब्ज ब्राह्मण
धर्म/संप्रदाय सनातन
राष्ट्रीयता भारतीय
व्यवसाय पार्श्व गायक, अभिनेता, संगीतकार, गीतकार, निर्देशक, निर्माता और पटकथा लेखक
स्थान खंडवा, मध्य प्रांत (अब मध्य प्रदेश), ब्रिटिश भारत,

शारीरिक संरचना

ऊंचाई लगभग 5.8 फ़ीट
वज़न लगभग 75 किग्रा
आँखों का रंग काला
बालों का रंग काला

पारिवारिक विवरण

अभिभावक

पिता : कुंजालाल गांगुली
माता : गौरी देवी

वैवाहिक स्थिति Married
जीवनसाथी

पहली पत्नी : रूमा गुहा ठाकुरता (1950-1958)
दूसरी पत्नी : मधुबाला (1960-1969)
तीसरी पत्नी : योगिता बाली (1975-1978)
चौथी पत्नी : लीना चंदावरकर (1980-1987; उनकी मृत्यु)

बच्चे/शिशु

पुत्र : अमित कुमार, सुमित कुमार

भाई-बहन

भाई : अशोक कुमार, अनूप कुमार
बहन : सती देवी

पसंद

गायक के एल सहगल
अभिनेत्री मधुबाला
अभिनेता डैनी काये (हॉलीवुड अभिनेता), अशोक कुमार, अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना

किशोर कुमार भारतीय सिनेमा के मशहूर पार्श्वगायक समुदाय में से एक रहे हैं। वे एक अच्छे अभिनेता के रूप में भी जाने जाते हैं। हिन्दी फ़िल्म उद्योग में उन्होंने बंगाली, हिन्दी, मराठी, असमी, गुजराती, कन्नड़, भोजपुरी, मलयालम, उड़िया और उर्दू सहित कई भारतीय भाषाओं में गाया था। उन्होंने सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक के लिए 8 फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीते और उस श्रेणी में सबसे ज्यादा फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीतने का रिकॉर्ड बनाया है। उसी साल उन्हें मध्यप्रदेश सरकार द्वारा लता मंगेशकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उस वर्ष के बाद से मध्यप्रदेश सरकार ने "किशोर कुमार पुरस्कार"(एक नया पुरस्कार) हिंदी सिनेमा में योगदान के लिए चालु कर दिया था।

प्रारम्भिक जीवन

श्री किशोर कुमार का जन्म 04 अगस्त 1929 को मध्य प्रदेश के खण्डवा शहर में वहाँ के जाने माने वकील श्री कुंजीलाल जी के यहाँ हुआ था। किशोर कुमार का मूल नाम आभास कुमार गांगुली था। किशोर कुमार चार भाई बहनों में चौथे नम्बर पर थे। उन्होंने अपने जीवन के हर क्षण में खण्डवा को याद किया, वे जब भी किसी सार्वजनिक मंच पर या किसी समारोह में अपना कर्यक्रम प्रस्तुत करते थे, गर्व से कहते थे किशोर कुमार खण्डवे वाले, अपनी जन्म भूमि और मातृभूमि के प्रति ऐसी श्रद्धा बहुत कम लोगों में दिखाई देता है।

शिक्षा

किशोर कुमार इन्दौर के क्रिश्चियन कॉलेज में पढ़े थे और उनकी आदत थी कॉलेज की कैंटीन से उधार लेकर खुद भी खाना और दोस्तों को भी खिलाना। वह ऐसा समय था जब 10-20 पैसे की उधारी भी बहुत मायने रखती थी। किशोर कुमार पर जब कैंटीन वाले के पाँच रुपया बारह आना उधार हो गए और कैंटीन का मालिक जब उनको अपने पाँच रुपया बारह आना चुकाने को कहता तो वे कैंटीन में बैठकर ही टेबल पर गिलास और चम्मच बजा बजाकर पाँच रुपया बारह आना गा-गाकर कई धुन निकालते थे और कैंटीन वाले की बात अनसुनी कर देते थे। बाद में उन्होंने अपने एक गीत में इस पाँच रुपया बारह आना का बहुत ही भली-भांति प्रयोग किया। बहुत कम लोगों को पाँच रुपया बारह आना वाले गीत की यह मूल कहानी ज्ञात होगी।

व्यक्तिगत जीवन

किशोर कुमार ने चार विवाह किये थे। विवाह की पहली पत्नी बंगाली गायक और अभिनेत्री रुमा गुहा ठाकुरता उर्फ ​​रुमा घोष थीं। यह विवाह सम्बन्ध 1950 से 1958 तक चला । किशोर दा ने दूसरा विवाह अभिनेत्री मधुबाला से किया था, जिन्होंने उनके घरेलू फिल्म चल्ती का नाम गाड़ी (1958) और झूमूओ (1 9 61) सहित कई फिल्मों में उनके साथ काम किया था। जब किशोर कुमार ने उनके सामने प्रस्ताव रखा, मधुबाला बीमार थीं और इलाज के लिए लन्दन जाने की योजना बना रही थीं। उन्हें वेंट्रिकुलर सेप्टल डिसीस (दिल में छेद) था, और किशोर कुमार अभी भी रुमा से विवाह बन्धन में थे। तलाक के बाद, इस जोड़े ने 1960 में सिविल विवाह किया और किशोर कुमार इस्लाम में परिवर्तित हो गए और कथित तौर पर अपना नाम बदल कर करीम अब्दुल कर दिया। उनके माता-पिता ने विवाह समारोह में भाग लेने से मना कर दिया। माता-पिता को खुश करने के लिए जोड़े ने हिंदू विवाह पद्धति से भी विवाह किया, लेकिन मधुबाला को कभी भी उन्होंने अपनी बहू के रूप में स्वीकार नहीं किया। विवाह के एक महीने के भीतर, मधुबाला अपने पति किशोर कुमार के घर में तनाव की वजह से बांद्रा में अपने बंगले में वापस चली गईं किन्तु वे विवाह में बने रहे, लेकिन मधुबाला के जीवन का बाकी हिस्सा तनाव से भरा रहा। यह सम्बन्ध 23 फरवरी 1969 को मधुबाला की मृत्यु के साथ समाप्त हुआ था।

किशोर दा का तीसरा विवाह योगिता बाली सेे किया जो 1976 से 4 अगस्त 1978 तक चला। किशोर कुमार का चौथा ओर अंतिम विवाह 1980 मे लीना चन्दावरकर से हुआ था। किशोर कुमार के दो बेटे थे, अमित कुमार रुमा के साथ, और सुमित कुमार लीना चन्दावरकर के साथ थे।

अभिनय का आरम्भ

किशोर कुमार की शुरुआत एक अभिनेता के रूप में फ़िल्म शिकारी (1946) से हुई। इस फ़िल्म में उनके बड़े भाई अशोक कुमार ने प्रमुख भूमिका निभाई थी। उन्हें पहली बार गाने का मौका मिला 1948 में बनी फ़िल्म जिद्दी में, जिसमें उन्होंने देव आनन्द के लिए गाना गाया। किशोर कुमार के एल सहगल के विशिष्ट प्रशंसक थे, इसलिए उन्होंने यह गीत उन की शैली में ही गाया। जिद्दी की सफलता के बावजूद उन्हें न तो पहचान मिली और न कोई खास काम मिला। उन्होंने 1951 में फणी मजूमदार द्वारा निर्मित फ़िल्म 'आन्दोलन' में हीरो के रूप में काम किया मगर फ़िल्म फ़्लॉप हो गई। 1954 में उन्होंने बिमल राय की 'नौकरी' में एक बेरोज़गार युवक की संवेदनशील भूमिका निभाकर अपनी प्रभावकारी अभिनय प्रतिभा से भी परिचित किया। इसके बाद 1955 में बनी "बाप रे बाप", 1956 में "नई दिल्ली", 1957 में "मि. मेरी" और "आशा" और 1958 में बनी "चलती का नाम गाड़ी" जिसमें किशोर कुमार ने अपने दोनों भाईयों अशोक कुमार और अनूप कुमार के साथ काम किया और उनकी अभिनेत्री थी मधुबाला। यह भी मजेदार बात है कि किशोर कुमार की शुरुआत की कई फ़िल्मों में मोहम्मद रफ़ी ने किशोर कुमार के लिए अपनी आवाज दी थी। मोहम्मद रफ़ी ने फ़िल्म ‘रागिनी’ तथा ‘शरारत’ में किशोर कुमार को अपनी आवाज उधार दी तो मेहनताना लिया सिर्फ एक रुपया। काम के लिए किशोर कुमार सबसे पहले एस डी बर्मन के पास गए थे, जिन्होंने पहले भी उन्हें 1950 में बनी फ़िल्म "प्यार" में गाने का मौका दिया था। एस डी बर्मन ने उन्हें फिर "बहार" फ़िल्म में एक गाना गाने का मौका दिया। कुसुर आप का और यह गाना बहुत हिट हुआ।

गीत संगीत के संग

शुरू में किशोर कुमार को एस डी बर्मन और अन्य संगीतकारों ने अधिक गंभीरता से नहीं लिया और उनसे हल्के स्तर के गीत गवाए गए, लेकिन किशोर कुमार ने 1957 में बनी फ़िल्म "फंटूस" में दुखी मन मेरे गीत अपनी ऐसी धाक जमाई कि जाने माने संगीतकारों को किशोर कुमार की प्रतिभा का लोहा मानना पड़ा। इसके बाद एस डी बर्मन ने किशोर कुमार को अपने संगीत निर्देशन में कई गीत गाने का मौका दिया। आर डी बर्मन के संगीत निर्देशन में किशोर कुमार ने 'मुनीम जी', 'टैक्सी ड्राइवर', 'फंटूश', 'नौ दो ग्यारह', 'पेइंग गेस्ट', 'गाईड', 'ज्वेल थीफ़', 'प्रेमपुजारी', 'तेरे मेरे सपने' जैसी फ़िल्मों में अपनी जादुई आवाज से फ़िल्मी संगीत के दीवानों को अपना दीवाना बना लिया। एक अनुमान के किशोर कुमार ने वर्ष 1940 से वर्ष 1980 के बीच के अपने करियर के दौरान करीब 574 से अधिक गाने गाए।

किशोर कुमार ने हिन्दी के साथ ही तमिल, मराठी, असमी, गुजराती, कन्नड़, भोजपुरी, मलयालम और उड़िया फ़िल्मों के लिए भी गीत गाए। किशोर कुमार को आठ फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार मिले, उनको पहला फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार 1969 में अराधना फ़िल्म के गीत रूप तेरा मस्ताना प्यार मेरा दीवाना के लिए दिया गया था। किशोर कुमार की विशेषता यह थी कि उन्होंने देव आनंद से लेकर राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन के लिए अपनी आवाज दी और इन सभी अभिनेताओं पर उनकी आवाज ऐसी रची बसी मानो किशोर खुद उनके अंदर मौजूद हों। किशोर कुमार ने 81 फ़िल्मों में अभिनय किया और 18 फ़िल्मों का निर्देशन भी किया। फ़िल्म 'पड़ोसन' में उन्होंने जिस मस्त मौला आदमी के किरदार को निभाया वही किरदार वे जिंदगी भर अपनी असली जिंदगी में निभाते रहे।

आपातकाल में

1975 में देश में आपातकाल के समय एक सरकारी समारोह में भाग लेने से साफ मना कर देने पर तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री विद्याचरण शुक्ला ने किशोर कुमार के गीतों के आकाशवाणी से प्रसारित किए जाने पर पर रोक लगा दी थी और किशोर कुमार के घर पर आयकर के छापे भी डाले गए। मगर किशोर कुमार ने आपात काल का समर्थन नहीं किया। यह दुर्भाग्य और शर्म की बात है कि किशोर कुमार द्वारा बनाई गई कई फ़िल्में आयकर विभाग ने ज़ब्त कर रखी है और लावारिस स्थिति में वहाँ अपनी दुर्दशा पर आँसू बहा रही है। इन फ़िल्मो में कई फिल्में अब तक अदृश्य भी हैं।

संघर्ष

किशोर कुमार ने भारतीय सिनेमा उस स्वर्ण काल में संघर्ष शुरु किया था जब उनके भाई अशोक कुमार एक सफल सितारे के रूप में स्थापित हो चुके थे। दिलीप कुमार, राज कपूर, देव आनंद, बलराज साहनी, गुरुदत्त और रहमान जैसे कलाकारों के साथ ही पार्श्वगायन में मोहम्मद रफी, मुकेश, तलत महमूद और मन्ना डे जैसे दिग्गज गायकों का बोलबाला था। किशोर कुमार की पहली शादी रुमा देवी के से हुई थी, लेकिन जल्दी ही शादी टूट गई और इस के बाद उन्होंने मधुबाला के साथ विवाह किया। उस दौर में दिलीप कुमार जैसे सफल और शोहरत की बुलंदियों पर पहुँचे अभिनेता जहाँ मधुबाला जैसी रूप सुंदरी का दिल नहीं जीत पाए वही मधुबाला किशोर कुमार की दूसरी पत्नी बनी।

1961 में बनी फ़िल्म "झुमरु" में दोनों एक साथ आए। यह फ़िल्म किशोर कुमार ने ही बनाई थी और उन्होंने खुद ही इसका निर्देशन किया था। इस के बाद दोनों ने 1962 में बनी फ़िल्म "हाफ टिकट" में एक साथ काम किया जिस में किशोर कुमार ने यादगार कॉमेडी कर अपनी एक अलग छबि पेश की। 1969 में मधुबाला की मृत्यु के बाद 1976 में उन्होंने योगिता बाली से शादी की मगर इन दोनों का यह साथ मात्र कुछ महीनों का ही रहा। इसके बाद योगिता बाली ने मिथुन चक्रवर्ती से शादी कर ली। 1980 में किशोर कुमार ने चौथी शादी लीना चंदावरकर से की जो उम्र में उनके बेटे अमित कुमार से दो साल बड़ी थीं।

मनोज कुमार की जुबानी

मनोज कुमार किशोर कुमार को लेकर एक यादगार किस्सा सुनाते हैं। एक बार उनकी फ़िल्म ' उपकार ' के लिए किशोर कुमार को गाना गाने के लिए आमंत्रित किया तो वह यह कहकर भाग खड़े हुए कि वे तो फ़िल्म के हीरो के लिए ही गाने गाते हैं, किसी खलनायक पर फ़िल्माया जाने वाला गाना नहीं गा सकते। लेकिन ' उपकार ' का यह गीत ' कसमे वादे प्यार वफ़ा ...' जब हिट हुआ तो किशोर कुमार मनोज कुमार के पास गए और कहने लगे इतने अच्छे गाने का मौका उन्होने छोड़ दिया। इसके साथ ही उन्होंने यह स्वीकार करने में भी देर नहीं की कि मन्ना डे ने जिस खूबसूरती से इस गाने को गाया है ऐसा तो मैं कई जन्मों तक नहीं गा सकूंगा। अच्छा ही हुआ कि मैने इस गाने को नहीं गाया नहीं तो लोग इतने अच्छे गीत में मन्ना डे की इस खूबसूरत आवाज से वंचित रह जाते।

किशोर कुमार की जगह लेने के लिए किसी के लिए असंभव: आशा भोसले

अनुभवी गायक आशा भोसले ने कहा कि,

"किशोर कुमार एक तरह का था। उसने हर किसी को अपनी मज़ेदार आवाज के साथ घुमाया और यहां तक ​​कि उसके चारों ओर हर किसी को हमेशा खुश कर दिया।"

अनुभवी गायक आशा भोसले का कहना है कि देर से गायक किशोर कुमार एक तरह का था और किसी के लिए अपना स्थान लेना असंभव है। संगीत रियलिटी शो दिल है हिंदुस्तान 2 के एक एपिसोड के लिए शूटिंग करते समय आशा ने अपने पसंदीदा सह-गायक किशोर कुमार के बारे में एक बयान पढ़ा।[11] उन्होंने 1957 की फिल्म आशा से गीत "एना मीना देका" को रिकॉर्ड करने के बारे में भी उपाख्यानों को साझा किया। आशा ने कहा

"किशोर कुमार एक तरह का था। उसने हर किसी को अपनी मज़ेदार आवाज के साथ घुमाया और यहां तक ​​कि उसके चारों ओर हर किसी को हमेशा खुश कर दिया।"

"वह संगीत उद्योग के लिए एक असली मणि रहा है। मैंने हमेशा उसके साथ काम करने का आनंद लिया है। आज किसी के लिए अपना स्थान लेना वास्तव में असंभव है।"

दोनों ने आप यहाँ आये किस् लिए , छोड डो आँचल ज़माना कया कहेगा और ओ साथी चाल जैसे हिट गाने दिए थे।

प्रमुख फ़िल्में

वर्षफ़िल्मचरित्रटिप्पणी
1988कौन जीता कौन हारा  
1982चलती का नाम ज़िन्दगी  
1974बढ़ती का नाम दाढ़ी  
1971दूर का राही  
1971हंगामा  
1968साधू और शैतान  
1968पड़ोसनगुरु 
1968हाय मेरा दिल  
1966प्यार किये जा  
1966लड़का लड़की  
1964दूर गगन की छाँव मेंशंकर 
1964मिस्टर एक्स इन बॉम्बे  
1962हाफ टिकट  
1962मनमौजी  
1962नॉटी बॉयप्रीतम 
1961झुमरूझुमरू 
1960गर्ल फ्रैंड  
1960महलों के ख़्वाबराजन 
1960काला बाज़ार  
1959चाचा ज़िन्दाबाद  
1958चलती का नाम गाड़ी  
1958रागिनीराजन 
1957आशा  
1957मिस मैरी  
1957बंदीमाधव 
1956भाई भाई  
1956पैसा ही पैसा  
1956ढाके की मलमल  
1956मेम साहिब  
1955भगवत महिमा  
1955पहली झलक  
1955बाप रे बाप  
1954नौकरी  
1954धोबी डॉक्टर  
1953लड़्की  
1952तमाशा  
1946शिकारी  

बतौर निर्देशक

वर्षफ़िल्मटिप्पणी
1982चलती का नाम ज़िन्दगी 
1974बढ़ती का नाम दाढ़ी 
1971दूर का राही 
1964दूर गगन की छाँव में 

अन्य बाते

श्रैयाँश जैन, मूंदी किशोरदा की पुण्यतिथि पर श्रध्दाजंली देते हुए याद करते हुए लिखा है :- "कोई है खास हमारा जो अब दुनिया मे नही,आवाज गुजती है उसकी वह अब दिखता नहीं, कल है बरसी उसकी, दिल की एक आस अधूरी, मिलना चाहते है हम उनसे मगर ये मुमकिन नहीं.....बस इस बात का गम हमे खाए जाता है, और 13 ओक्टूबर हमे हर साल रूला जाता है....", , किशोर कुमार के गीतों का संग्रह रखने वाले उनके प्रशंशक मनीष घनश्याम निमाड़े खरगोन मप्र, अश्रुपूरित श्रद्धांजलि देते हुवे कहते है , जाते जाते वो अपने जाने का गम दे गये, सब बहार ले गये रोने का मौसम दे गये। आज भी गीतों के माध्यम से किशोर दा को आभास किया जा सकता है । " बहुत सितम है दवा नहीं है, ये दिल है क़र्बला नहीं, बहार जिसके साथ थी , वो शख्श अब रहा नहीं ,,,

Readers : 65 Publish Date : 2023-08-08 05:33:47