करीना कपूर
करीना कपूर
(Age 40 Yr. )
व्यक्तिगत जीवन
शिक्षा | कॉलेज ड्रॉपआउट |
जाति | खत्री/पंजाबी |
धर्म/संप्रदाय | सनातन |
व्यवसाय | अभिनेत्री |
स्थान | बॉम्बे, महाराष्ट्र, भारत, |
शारीरिक संरचना
ऊंचाई | लगभग 5.4 फीट |
वज़न | लगभग 55 किग्रा |
शारीरिक माप | 34 इंच, 26 इंच, 34 इंच |
आँखों का रंग | हेज़ल ग्रीन |
बालों का रंग | गहरा भूरा |
पारिवारिक विवरण
अभिभावक | पिता : रणधीर कपूर |
वैवाहिक स्थिति | Married |
जीवनसाथी | सैफ़ अली ख़ान |
बच्चे/शिशु | बेटा: तैमूर अली खान, जहांगीर अली खान |
भाई-बहन | बहन: करिश्मा कपूर |
पसंद
रंग | लाल और काला |
स्थान | स्विट्जरलैंड और लंदन |
भोजन | दाल-चावल, पास्ता, स्पेगेटी |
अभिनेत्री | काजोल, नरगिस और मीना कुमारी |
अभिनेता | राज कपूर और शाहरुख खान |
Index
1. प्रारंभिक जीवन और परिवार |
2. करियर |
3. अन्य कार्य |
4. व्यक्तिगत जीवन |
5. मीडिया में |
6. अभिनय श्रेय |
करीना कपूर (जन्म: २१ सितम्बर १९८०) बॉलीवुड फिल्मों में काम करने वाली एक भारतीय फ़िल्म अभिनेत्री हैं। कपूर फ़िल्म परिवार में जन्मी करीना ने अभिनय की शुरुआत साल २००० में रिलीज़ हुई फ़िल्म रिफ्युज़ी के साथ की। इस फ़िल्म में अपने अभिनय के लिए उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट फीमेल डेब्यू यानि उस साल अपने अभिनय जीवन की शुरुआत करने वाली अभिनेत्रियों में से सर्वश्रेष्ठ अभिनत्री का पुरस्कार भी मिला। साल २००१ में, अपनी दूसरी फ़िल्म मुझे कुछ कहना है रिलीज़ होने के साथ ही, कपूर को अपनी पहली व्यावसायिक सफलता मिली। इसके बाद इसी साल आई करन जौहर की नाटक से भरपूर फ़िल्म कभी खुशी कभी ग़म में भी करीना नज़र आयीं। ये फ़िल्म उस साल विदेशों में सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली भारतीय फ़िल्म बन गई और साथ ही करीना के लिए ये तब तक की सबसे बड़ी व्यावसायिक सफलता थी।
२००२ और २००३ में लगातार कई फिल्मों की असफलता और एक जैसी भूमिकाएं करने की वजह से करीना को समीक्षालों से काफ़ी नकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिलीं, उसके बाद करीना ने एक जैसी भूमिकाओं या टाईपकास्ट (typecast) से बचने के लिए ज्यादा मेहनत वाली और कठिन भूमिकाएं लेना शुरू कर दिया। फ़िल्म चमेली (Chameli) में देह व्यापार करने वाली एक लड़की की भूमिका ने उनके करियर की दिशा बदल दी। इस फ़िल्म में अपने अभिनय के लिए उन्हें फ़िल्मफेयर स्पेशल परफोर्मेंस अवार्ड या फ़िल्मफेयर विशिष्ट प्रदर्शन पुरस्कार (Filmfare Special Performance Award) भी मिला। इसके बाद, फ़िल्म समीक्षकों द्वारा बहुप्रशंसित फिल्मों देव और ओंकारा में अभिनय के लिए उन्हें फिल्मफेयर समारोह में आलोचकों की दृष्टि से दो सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार (Critics Awards for Best Actress) भी मिले। २००४ और २००६ के बीच अभिनय के क्षेत्र में इतनी अलग-अलग तरह की भूमिकाएं करने के बाद उन्हें बहुमुखी प्रतिभा की धनी अभिनेत्री के रूप में जाना जाने लगा।
वर्ष २००७ में, कपूर ने व्यावसायिक दृष्टि से बेहद सफल रही कॉमेडी-रोमांस फ़िल्म जब वी मेट में अपने प्रदर्शन के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार जीता.बॉक्स ऑफिस पर कमाई करने के मामले में भले ही उनकी फिल्मों का प्रदर्शन काफी अलग अलग रहा हो लेकिन करीना ख़ुद को हिन्दी फ़िल्म उद्योग में आज कल की अग्रणी फ़िल्म अभिनेत्री के रूप में स्थापित करने में सफल रही हैं।
प्रारंभिक जीवन और परिवार
करीना का जन्म भारत के महाराष्ट्र प्रान्त की राजधानी मुंबई में बसे पंजाबी मूल के कपूर फ़िल्म परिवार में हुआ। करीना, फ़िल्म अभिनेता रणधीर कपूर और अभिनेत्री बबिता (जिनका शादी से पहले का नाम शिवदासनी था) की सबसे छोटी बेटी हैं। करीना के अनुसार, उनका प्रथम नाम एन्ना करेनिना नामक पुस्तक से लिया गया है। वो अभिनेता और फ़िल्म निर्माता राज कपूर की पोती और पृथ्वीराज कपूर की परपोती हैं। प्यार से बेबो के नाम से पुकारी जाने वाली करीना, अभिनेत्री करिश्मा कपूर की बहन और अभिनेता ऋषि कपूर की भतीजी भी हैं।
इसके बावजूद कि उनका जन्म फिल्मी दुनिया में एक सफल और नामचीन परिवार में हुआ था, लेकिन उनके पिता चाहते थे कि वो भारतीय प्रथा के अनुसार जल्दी से शादी कर लें और अभिनय से दूर रहें। ब्रिटैनिका विश्वकोष (Encyclopedia Britannica) के साथ एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि दरअसल उन्हें औरतों के अभिनय करने पर ऐतराज़ नहीं था, ख़ुद उनकी, उनके भाई कि और यहाँ तक कि उनके चाचाओं कि शादियाँ भी जानी मानी अभिनेत्रियों से हुई थीं। बल्कि, उन्हें चिंता इस बात से थी कि एक महिला के लिए परिवार और माँ के रूप में अपने दायित्व और अभिनय के बीच सामंजस्य बिठाना नामुमकिन सा था। इस वजह से कपूर के माता-पिता के बीच काफी मतभेद पैदा हो गए, यहाँ तक की अंत में उनकी माँ ने कपूर और उनकी बड़ी बहन को साथ लेकर घर छोड़ दिया। १९९१ तक जब तक बड़ी बहन करिश्मा ने अभिनय करना शुरू नहीं किया तब तक उनकी माँ ने कई नौकरियां करके बड़ी मुश्किल से उन्हें बड़ा किया।
कपूर की पढ़ाई मुंबई में जमनाबाई नर्सी स्कूल और बाद में देहरादून के वेल्हैम गर्ल्स बोर्डिंग स्कूल से हुई।मीठीबाई कॉलेज, विले पार्ले में दो साल वाणिज्य कि पढ़ाई करने के बाद, उन्होंने हावर्ड विश्वविद्यालय से माइक्रो कम्प्यूटर्स में तीन महीने का ग्रीष्म कोर्स किया। बाद में उनकी रुचि कानून की पढ़ाई में विकसित हुई और उन्होंने चर्चगेट स्थित गवर्नमेंट ला कॉलेज में दाखिला लिया। वहां एक साल पूरा करने के बाद, वह एक अभिनेत्री बनने की अपनी प्रारंभिक योजना की तरफ़ लौटीं और किशोर नामित कपूर के अभिनय संस्थान में प्रशिक्षण लेने लगीं.
करियर
शुरूआती कार्य, वर्ष २००० तक
फिल्मों में करीना कपूर की शुरुआत होने वाली थी राकेश रोशन की फ़िल्म कहो ना ...प्यार है) (२०००) के साथ, जिसमें उनके साथ राकेश रोशन के बेटे हृतिक रोशन थे। हालांकि, कई दिनों की तक दृश्य फिल्माने के बाद उन्होंने ये फिल्म छोड़ दी और बाद में कहा कि, "शायद किस्मत में यही था कि मैं इस फिल्म में नहीं रहूंगी." आखिरकार, ये उनके बेटे के फिल्मी करियर की शुरुआत थी। सारा ध्यान लड़के पर ही था। अब मुझे अच्छा लगता है कि मैंने ये फ़िल्म नहीं की."
कहो ना..प्यार है को मना करने के बाद, उन्होंने अपनी पहली फ़िल्म की - अभिषेक बच्चन के साथ जे. पी. दत्ता की युद्ध पर आधारित नाटकीय फ़िल्म रिफ्यूजी.भारत और पाकिस्तान की लड़ाई , की पृष्ठभूमि पर बनी ये फ़िल्म रिफ्यूजी के नाम से जाने जाने वाले एक युवक (जिसका किरदार बच्चन ने निभाया था) के इर्द गिर्द घुमती है, जो नागरिकों को अवैध रूप से पकिस्तान सीमा के इस पार और उस पार ले जाया करता था। कपूर ने नाज़ नाम की एक बांग्लादेशी लड़की का किरदार निभाया था जो उस युवक के सात पाकिस्तान जाने के दौरान उससे प्यार करने लगती है। कपूर के अभिनय को आलोचकों ने खूब सराहा; इंडिया एफ एम के तरन आदर्श ने लिखा, "करीना कपूर का व्यक्तित्व चुम्बकीय है जिससे दर्शक अकस्मात ही उनके प्यार में पड़ जाता है।" वो जिस तरह से कठिन से कठिन दृश्यों को बड़ी ही आसानी के साथ निभा देती हैं, वो चीज़ आपको आश्चर्य चकित कर देती है[...] इस बात को कोई नकार नहीं सकता है कि वो कैमरा के अनुकूल है और एक असल कलाकार हैं। कपूर के अभिनय के लिए उन्हें फ़िल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिला और रिफ्यूजी उस वर्ष सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में पांचवें स्थान पार रही.
सफलता, २००१ -२००३
साल २००९ में, कपूर ने तुषार कपूर के साथ सतीश कौशिक द्वारा निर्देशित रोमांटिक ड्रामा फ़िल्म मुझे कुछ कहना है में काम किया। कपूर ने इस फ़िल्म में पूजा नाम कि एक लड़की की भूमिका निभाई थी। फ़िल्म की कहानी एक ऐसे परेशान युवक पर आधारित थी जो पूजा से प्यार करने लगता है। ये फ़िल्म भी उस साल सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में से एक थी। हालांकि, इसके बाद में आई कपूर की फिल्में जैसे यादें और अजनबी बॉक्स ऑफिस पर कुछ ख़ास प्रदर्शन नहीं कर पायीं.
इसी साल, उन्हों ने संतोष सीवान के ऐतिहासिक महाकाव्य फ़िल्म अशोका की, जो की आंशिक रूप से मौर्य साम्राज्य के प्रख्यात भारतीय सम्राटों में से एक अशोक महान(३०४ ई.पू.-२३२ ई.पू.) के जीवन पर आधारित थी।वेनिस फिल्म समारोह और २००१ टोरंटो अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के दौरान स्क्रीनिंग सहित इस फ़िल्म की शुरुआत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफ़ी ज़ोरदार प्रदर्शन के साथ हुई. इस फ़िल्म में शाहरुख़ खान की सम्राट अशोक के रूप में केंद्रीय भूमिका थी और उनके साथ कपूर कलिंग की राजकुमारी कौरवाकी की भुमिका में थीं जिस से अशोक को गहरा प्यार हो जाता है। हालांकि फ़िल्म को आम तौर पर सकारात्मक समीक्षा मिली, कपूर के अभिनय को समीक्षकों ने मिलीजुली प्रतिक्रिया दी. वहीं कुछ समीक्षकों का ये भी कहना था कि फ़िल्म में कपूर को प्राथमिक रूप से मात्र सौंदर्य प्रदर्शन करने के लिए लिया गया है। रेडिफ डाट कॉम पर आई एक समीक्षा का उनके प्रदर्शन के बारे में कहना है,"फ़िल्म के शुरूआती आधे हिस्से में करीना काफ़ी देर तक परदे पर छाई रहती हैं और उन्होंने काफी अंग प्रदर्शन किया है। हालांकि फ़िल्म के शुरूआती आधे हिस्से का एक बड़ा भाग भागे हुए राजकुमार और उनके बीच पनपते और बढ़ते प्यार को दिखता है और उनके पक्ष में परदे पर उनके बीच की केमिस्ट्री कुछ हद तक काम भी करती है, लेकिन इसके बावजूद मैं उनकी अभिनय क्षमता के बारे में कुछ कहने में असमर्थ हूँ." बहरहाल, उनके प्रदर्शन ने कुछ आलोचकों की प्रशंसा जीती और उनके लिए फ़िल्मफेयर का पहला सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री नामांकन अर्जित किया। कभी खुशी कभी ग़म में "पू" के किरदार में २००१ में, कपूर की आखिरी रिलीज़ थी कभी खुशी कभी ग़म जो १४ दिसम्बर को प्रर्दशित हुई और जिसका निर्देशन करण जौहर ने किया था। यह एक कई कलाकारों से भरी थी, जिनमें शामिल थे- अमिताभ बच्चन, जया बच्चन, शाहरुख़ खान, काजोल और ऋतिक रोशन। ये उस वर्ष भारत में सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली फ़िल्म थी। यही नहीं, घरेलु बाज़ार में कुल ४९० करोड़ रुपये कमा कर ये कपूर की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फ़िल्म रही. इस फ़िल्म ने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अच्छा प्रदर्शन किया और ३५० करोड़ रुपए कमाकर उस वर्ष विदेश में भारत की सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली फ़िल्म रही. साथ ही ये विदेश में अब तक की दूसरी सबसे सफल फ़िल्म रही."पू" के किरदार में उनका प्रदर्शन समीक्षकों द्वारा सराहा गया और उन्हें फ़िल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के पुरस्कार के लिए नामांकित भी किया गया। तरन आदर्श का कहना है की,"करीना कपूर इस फ़िल्म में मुख्य आकर्षणों में से एक हैं"उन्होंने फ़िल्म के दूसरे भाग को मस्तीभरा और मनोरंजनक बना दिया है जो की फ़िल्म के लिए बहुत ही ज़रूरी था, उनके इस प्रदर्शन को युवाओं द्बारा बहुत प्यार दिया जायेगा एक खूबसूरती किरदार जिसमे अपने चरम पर है, ऐसी भूमिका में वो बस सबका दिल जीत लेतीं हैं
साल २००२ और २००३ के दौरान, कपूर ने अंपने करीअर में एक मंदी का अनुभव किया उन्हें कुल छह फिल्मों में फिल्माया गया - मुझसे दोस्ती करोगे!और जीना सिर्फ़ मेरे लिए साल २००२ में और Talaash: The Hunt Begins...,खुशी, मैं प्रेम की दीवानी हूँ और चार घंटे की जे.पी. दत्ता की महा युद्ध गाथा एल ओ सी कारगिल साल २००३ में - ये सभी व्यावसायिक रूप से और समीक्षकों के अनुसार भारत में असफल साबित हुईं. यश राज फिल्म्स के बैनर तले कुनाल कोहलीद्वारा निर्देशित पहली फ़िल्म मुझसे दोस्ती करोगे! को देखने के लिए दर्शकों में भारी उत्साह था और वो इस फ़िल्म का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे, फिर भी ये फ़िल्म बॉक्स-ऑफिस पर कोई ख़ास कमाल नहीं दिखा पाई, हलाँकि इसके बावजूद इस फ़िल्म ने विदेश में अच्छा कारोबार किया। एक समीक्षक ने अपने रिपोर्ट में लिखा की "करीना कपूर लगातार अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकती हैं वो हर फ्रेम में सुंदर दिखती हैं, लेकिन कभी खुशी कभी ग़म में उन्होंने अपने उस छैल छबीली वाले किरदार को इतनी बार दोहराया की उसे झेलना मुश्किल हो गया। इसी समय उन्होंने एक और फ़िल्म की जो कि अगले साल प्रर्दशित की गई थी, वो फ़िल्म थी, मैं प्रेम की दीवानी हूँसूरज आर. बड़जात्या के निर्देशन में राजश्री प्रोडक्शंस की ये फ़िल्म भी विदेशों में अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद बॉक्स-ऑफिस पर पिट गई। आलोचकों को कपूर का प्रदर्शन एक बार फिर अमौलिक और दोहराया हुआ सा लगा, जिसने दर्शकों को बहुत कम प्रेरित किया। कुछ लोगों के अनुसार इस फ़िल्म में उनकी भूमिका कभी खुशी कभी ग़म, यादें और उनकी पिछली फ़िल्म खुशी से कुछ ख़ास अलग नहीं थी और उनका काम उनके पिछले कामों को दुहराने तक सीमित था। इस समय, आलोचक अपनी चिंता व्यक्त कर रहे थे कि कपूर एक ही तरह के पात्र और भूमिका में बंधती जा रही हैं। यही वो नकारात्मक समीक्षाएं थी जिन्होंने उन्हें अलग अलग तरह के पात्रों को करने की प्रेरणा दी, जिससे आने वाले सालों में उन्होंने पात्रों के अन्तर-तत्त्व को समझना यानि किसी पात्र की जान क्या है ये जानना और उसे अपने अभिनय में उभारना शुरू किया।
मोड़, २००४ से अब तक.
कपूर के करीयर के बुरे दौर के बाद, साल २००४ से उनकी गंभीर फिल्मों में काम की शुरुआत हुई, जिनमें से ज्यादातर फिल्में व्यावसायिक रूप से सफल होने के बजाए समीक्षकों द्वारा सराही गईं सुधीर मिश्रा के निर्देशन में कपूर ने एक वैश्या चमेली का किरदार निभाया. इस फ़िल्म में उनके सह कलाकार राहुल बोस थे, इस फ़िल्म का नाम कपूर के पात्र के नाम पर रखा गया। चमेली, एक जवान वैश्या और एक विधुर निवेश बैंकर की कहानी है जो आपस में मिलते हैं और अपनी ज़िन्दगी के भयानक पलों को एक दूसरे के साथ बाँटते हुए एक दूसरे के करीब आ जाते है इस फ़िल्म ने मुख्यतः सकारात्मक समीक्षा हासिल की और कपूर के अभिनय ने उनके लिए फ़िल्मफेयर विशिष्ट प्रदर्शन पुरस्कार भी अर्जित किया।इंडियाटाईम्स ने उनके प्रदर्शन के बारे में लिखा,"....करीना ने सबकी अपेक्षाओं से परे जाकर और निश्चय ही ख़ुद अपनी अपेक्षाओं से परे जाकर, फ़िल्म जगत में हर वक़्त याद किए जाने वाले कुछ महान प्रदर्शनों में से एक बेहतरीन प्रदर्शन दिया है, इस भूमिका में उन्होंने महबूब खान की मदर इंडिया (१९५७) की नरगिस, साहिब बीबी और ग़ुलाम ) (१९६२) की मीना कुमारी और महेश भट्ट की अर्थ में (१९८२) की शबाना आजमी के स्टार को छुआ है। करीना ने अपनी आतंरिक प्रतिभा को दर्शाया जो की फिल्मों में बहुत ही मुश्किल से आ पाती है।" (Chameli) (२००४) में कपूर एक वैश्या "चमेली" के रूप में नज़र आईं]]
उसके बाद कपूर अमिताभ बच्चन और फरदीन खान के साथ गोविंद निहलानी की समीक्षकों द्वारा बहुप्रशंसित फ़िल्म देव में नज़र आईं, इस फ़िल्म ने पहली बार उन्हें किसी फ़िल्म में एक गाने के लिए गाईका के तौर पर आजमाया गया इस फ़िल्म की कहानी साल २००२ के फ़रवरी और मई के महीने में हिंदू और मुसलामानों के बीच भारत के राज्य गुजरात में हुए दंगों और साम्प्रदायिक हिंसा पर केंद्रित है। वडोदरा के बेस्ट बेकरी काण्ड की मुख्य गवाह जाहिर शेख पर गढे गए इस किरदार में कपूर एक मध्यम वर्गीय मुस्लिम लड़की बनी हैं जिसका नाम आलिया है और जो दंगों की शिकार बन जाती है। अपने काम के लिए उन्होंने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन का फ़िल्मफेयर समीक्षक पुरस्कार मिला और साथ ही साथ अन्य बहुत से समारोहों में उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए नामांकित किया गया। तरन आदर्श ने वक्तव्य दिया कि, "करीना कपूर इस फ़िल्म में अव्वल दर्जे की हैं"बिना तड़क भड़क वाले रूप में, इस किरदार के ज़रिये उन्होंने अभिनय के क्षेत्र में एक ऊंची छलांग मारी है। अमिताभ बच्चन के साथ उनका एक दृश्य (जिसमें अमिताभ गवाहों को आआगे आने के लिए कहते हैं) बेहतरीन अदाकारी का एक उदाहरण है।
उसके कुछ ही समय बाद, रोमांचक फ़िल्म फ़िदा में कपूर पहली बार किसी अशिष्ट लड़की के किरदार में यानि एक नकारात्मक भूमिका में आयीं. इस फ़िल्म में उनके सह कलाकार थे- शाहिद कपूर और फरदीन खान.इस फ़िल्म की कहानी इन्टरनेट के माध्यम से चोरी और मुंबई के अंडर वर्ल्ड के सरगनाओं के बारे में है। करीना, नेहा मेहरा नाम की एक लड़की का पात्र अदा कर रही हैं, जो इन सभी घटनाओं से जुड़ जाती है। हालांकि यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर विफल रही, लेकिन कपूर ने अपने प्रदर्शन के लिए सकारात्मक समीक्षाएँ हासिल कीं. द ट्रिब्यून ने छापा कि "करीना कपूर ने अच्छा प्रदर्शन दिया है। वो थकी हुई लगती हैं लेकिन अपनी शैतानी भरी मुस्कराहट से वो आपको तारो ताज़ा कर देती हैं", रेडिफ़.कॉम ने लिखा, "आखिरकार, करीना कभी खुशी कभी ग़म में अपनी "पू" वाली छवि से आगे निकलकर और अपने असल रूप में आ गई हैं।" उसके बाद उस साल प्रर्दशित हुई उनकी फिल्मों में शामिल हैं अब्बास-मस्तान की ठीक-ठाक सफल, थ्रिलर फ़िल्म ऐतराज़ और प्रियदर्शन की कॉमेडी हलचल, जो कि २००२ के बाद बॉक्स ऑफिस पर उनकी पहली सफल फ़िल्म रही.
साल २००५ में, करीना तीन फिल्मों में नज़र आईं.सबसे पहले आई अनिल कपूर, अक्षय कुमार और सुष्मिता सेन के साथ धर्मेश दर्शनद्वारा निर्देशित बेवफाई). इसमें करीना एक इंडो-कनाडियन (Indo-Canadian) लड़की ऐन्जाजी की भूमिका निभा में थीं जो अपनी बहन के मृत्यु के बाद उसके पति से शादी कर लेती है, लेकिन बाद में अपनी शादी से असंतुष्ट होकर फिर अपने पिछले प्रेमी के साथ सम्बन्ध रखने लगती है। इस फ़िल्म को मिश्रित समीक्षाएँ मिलीं और कपूर के काम को ज्यादा नहीं सराहा गया इस साल बाद में, वो प्रियदर्शन के रोमांटिक ड्रामा, क्यों की (Kyon Ki) में नज़र आईं इस फ़िल्म की कहानी एक मनोरोग अस्पताल में परिदृश्य में है। यह एक मानसिक रूप से बीमार मरीज़ की प्रेम कहानी है जिसमे मरीज़ का किरदार निभाया है सलमान खान ने और उस मरीज़ की चिकित्सक की भूमिका में हैं कपूर.फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर पिट गई, लेकिन कपूर के प्रदर्शन को आलोचकों द्वारा साधारणतः अच्छी प्रतिक्रिया मिली. बीबीसी ने लिखा," अगर अभिनय की बात है तो इस बात को कहने की कोई ज़रूरत नहीं है की उनके अन्दर ये गुन प्राकृतिक रूप से है।"[39] उसके बाद कपूर ने अक्षय कुमार, बॉबी देओल और लारा दत्ता के साथ रोमांसDosti: Friends Forever में काम किया। हालाँकि इस फ़िल्म को भारत में सामान्य सफलता मिली लेकिन ब्रिटेन में यह फ़िल्म २००५ में बॉलीवुड की सबसे ज्यादा कमाने वाली फ़िल्म रही.
साल २००६ में, कपूर ने एक थ्रिलर ३६ चाइना टाऊन (36 China Town) और उसके बाद एक कॉमेडी चुप चुप के (Chup Chup Ke) में काम किया। दोनों ही फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर ठीक-ठाक प्रदर्शन किया। उन्होंने अपनी अगली भूमिका में विलियम शेक्सपियर की ओथेलो (Othello) के हिन्दी रूपांतरण ओमकारा में देस्देमोना (Desdemona) के पात्र को चित्रित किया। विशाल भारद्वाज (Vishal Bhardwaj) द्वारा निर्देशित इस फ़िल्म में कपूर के साथ साथ अजय देवगन, सैफ अली खान, विवेक ओबेरॉय (Vivek Oberoi) और कोंकणा सेन शर्मा (Konkona Sen Sharma) ने काम किया और इस फ़िल्म का पहला प्रदर्शन साल २००६ में कान फिल्म समारोह (2006 Cannes Film Festival) में किया गया। उनके प्रदर्शन को सराहा गया और उनको अपना चौथा फ़िल्म फेयर पुरस्कार और पहला स्टार स्क्रीन पुरस्कार मिला.रेडिफ़.कॉम इस पर कहता है कि “उनका किरदार सबसे कठिन किरदारों में से एक है, इस तरह से वो प्यार और त्रासदी, डर और घबराहट, पिता से विद्रोह और अपने प्रेमी की अधीनता जैसी चीज़ों से गुज़रती है, इन चीज़ों को चित्रित करना आसान नहीं है। इस फ़िल्म में करीना के पास संवाद नहीं थे, लेकिन उनके हिस्से में फ़िल्म के कुछ ऐसे लम्हे थे जहाँ अपनी बात को कहने के लिए कमाल की अभिव्यक्ति कि ज़रूरत थी और उन्होंने उसे अभिव्यक्त किया।”
इस साल बाद में, वो फरहान अख्तर (Farhan Akhtar) की फ़िल्म डॉन- द चेज बिगेंस अगेन (Don - The Chase Begins Again) में एक आइटम नम्बर (item number) करती नज़र आईं, ये फ़िल्म १९७८ में आई बॉलीवुड फ़िल्म डॉन (Don) की रीमेक थी हालाँकि कपूर के काम को आम तौर पर अच्छा कहा गया लेकिन आलोचकों के अनुसार उन्होंने ये काम उतनी अच्छी तरह से नहीं निभाया जैसा की मूल संस्करण में हेलन (Helen) ने निभाया था। (Jab We Met) में कपूर (गीत ढिल्लों के रूप में) शाहिद कपूर (Shahid Kapoor) के साथ, इसके लिए उन्हें सर्वश्रेठ अभिनेत्री के लिए फ़िल्मफेयर पुरस्कार मिला। ]]
अगले साल, वो इम्तियाज़ अली की रोमांटिक-कॉमेडी (comedy-romance) फ़िल्म जब वी मेट (Jab We Met) में शाहिद कपूर के साथ नज़र आई ये कहानी उन दो लोगों की है जो एक ट्रेन में मिलते हैं और एक दूसरे से बिल्कुल अलग हैं और आखिरकार उनमें प्यार हो जाता है। इस फ़िल्म में कपूर ने एक प्रभावशाली महिला गीत ढिल्लों के किरदार को निभाया है, जो कि ज़िन्दगी का भरपूर मज़ा लेने वाली एक सिख (Sikh) लड़की है। इस फ़िल्म ने आलोचकों द्वारा अनुकूल प्रतिक्रियाएं प्राप्त की और बॉक्स-ऑफिस पर साल की सबसे कामयाब फ़िल्म साबित हुई। इस फ़िल्म ने घरेलु तौर पर कुल ३०३ करोड़ रूपये की कमाई की कपूर ने अपने प्रदर्शन के लिए कई पुरस्कार जीते, जिनमें शामिल है फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार और सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए उनका दूसरा स्टार स्क्रीन पुरस्कार (Star Screen Award for Best Actress).सीएनएन-आईबीएन (CNN-IBN) के राजीव मसंद (Rajeev Masand) ने टिप्पणी की,"सहज और स्वाभाविक, करीना कपूर इस किरदार की आत्मा हैं, इस किरदार की सबसे बड़ी ताकत भी वही हैं, क्योंकि वो इस किरदार को न सिर्फ़ अपने चालाक संवादों से सजीव बना देती हैं, बल्कि उन्होंने एक ऐसी स्पष्टवादिता का प्रयोग किया है जिसे बहुत कम कलाकार ही कभी कभार इस्तेमाल में लेते हैं।" मैं उनके बारे में इससे बड़ी तारीफ की और कोई बात सोच नहीं पा रहा हूँ कि जिस विश्वास के साथ करीना ने गीत के किरदार को निभाया है उस तरह से कोई भी और अदाकारा नहीं निभा पाती."
जब वी मेट की सफलता के बाद, कपूर, अक्षय कुमार, सैफ अली खान और अनिल कपूर के साथ एक एक्शन- थ्रिलर फ़िल्म टशन (Tashan) (२००८) में नज़र आई इस फ़िल्म को यश राज फिल्म्स (Yash Raj Films) की वापसी बताया जा रहा था। लेकिन ये बॉक्स- ऑफिस पर आलोचनात्मक और व्यावसायिक दोनों तरीके से पिट गई इसके बाद कपूर ने यश राज फिल्म्स और वॉल्ट डिज्नी पिक्चर्स (Walt Disney Pictures) की एनिमेटेड फिल्म रोडसाइड रोमियो (Roadside Romeo) में अपनी आवाज़ दी जुगल हंसराज (Jugal Hansraj) के निर्देशन में बनी इस फ़िल्म में एक सड़क का कुत्ता केन्द्र में था जिसका नाम था रोमियो और करीना ने रोमियो की प्रेमिका लैला के लिए आवाज़ दी थी। अपनी भूमिका की तैयारी के लिए करीना ने हॉलीवुड की कई एनीमेशन फिल्में देखीं और ये समझा कि इस तरह कि फिल्मों में कलाकार अपने संवाद किस तरह देते हैं।
उसके बाद उन्होंने रोहित शेट्टी की कॉमेडी फ़िल्म गोलमाल रिटर्न्स (Golmaal Returns) में काम किया, जो की २००६ में प्रर्दशित फ़िल्म गोलमाल (Golmaal) की अगली कड़ी थी इस फ़िल्म में अजय देवगन, अरशद वारसी, तुषार कपूर (Tusshar Kapoor), श्रेयस तलपडे (Shreyas Talpade), अमृता अरोरा (Amrita Arora), सेलिना जेटली (Celina Jaitley) और अंजना सुखानी (Anjana Sukhani) जैसे कलाकारों का एक समूह था, इसमें करीना, देवगन की शक्की पत्नी की भूमिका में थीं। आलोचकों ने इस फ़िल्म का उदासीनता के साथ स्वागत किया और कपूर को इसके लिए मिश्रित समीक्षाएं प्राप्त हुई इंडियन एक्सप्रेस (द इंडियन एक्सप्रेस) के अनुसार, "इस बात में कोई नयापन नहीं है कि शक्की मिजाज की पत्नी किस तरह अपने पति पर नज़र रखती है और इस किरदार को करीना ने जिस तरह निभाया उसमें भी कोई नयापन नहीं है: क्यूंकि ये बालाजी प्रोडक्शन की एक फ़िल्म है, फ़िल्म में करीना का नाम ख़ुद एकता ही है और वो दिन भर सिर्फ़ इसी प्रोडक्शन से आने वाले आम 'सास बहु' धारावाहिकों को ही देखती हैं फिर भी गोलमाल रिटर्न्स एक बहुत बड़ी वित्तीय सफलता साबित हुई और इस फ़िल्म की घरेलु आमदनी ५०० करोड़ रुपए से ज्यादा रही
अन्य कार्य
फ़िल्म जगत में इन सालों के दौरान,करीना कपूर ने अन्य दूसरी प्रतिबद्धताओं के लिए भी समय निकाला, वो मानवतावादी से जुड़े कार्यक्रमों से लेकर स्टेज शो में भी भाग लेती रहीं साल २००२ में,हार्टथ्रोब्स कार्यक्रम में कपूर ने अपना पहला वर्ल्ड टूर किया, उनके साथ हृथिक रोशन, करिश्मा कपूर (Karisma Kapoor), अर्जुन रामपाल (Arjun Rampal) और आफताब शिवदासानी (Aftab Shivdasani) भी थे इस शो का प्रदर्शन पूरे अमेरिका और कनाडा में किया और ये समारोह सफल रहा नवम्बर २००३ में, कपूर ने मार्को रिक्की के ईच वन रीच वन के लाभ कार्यक्रम में प्रदर्शन किया, जो की विश्व युवा शांति शिखर सम्मेलन के लिए एक धन वृद्धि का साधन है, जबकि साल २००५ में बॉलीवुड के अन्य सितारों के साथ उन्होंने हेल्प! में भाग लिया तेलेथों समारोह से उन्होंने २००४ में हिंद महासागर में आए भूकंप से पीड़ित लोगों की मदद की. उस साल बाद में, वो राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके में गई, जहाँ वे फौजी जवानों (jawan) की होली को ख़ास बनाने और उनके मनोबल को और बढ़ाने के उद्देश्य से एन डी टी वी (NDTV) के एक कार्यक्रम, जय जवान का हिस्सा बनी इस कार्यक्रम में कलाकार और फिल्मी हस्तियां एन डी टी वी के सदस्यों के साथ दूर दराज़ के क्षेत्रों में स्थित भारतीय सैनिकों से मिलने गए
साल २००६ में, कपूर ने रॉकस्टारस् वर्ल्ड टूर में भाग लिया, जिनमें उनके साथ सलमान खान, जायेद खान (Zayed Khan), जॉन अब्राहम, शहीद कपूर, एषा देओल और मल्लिका शेरेवत थी अगले वर्ष, कपूर और प्रियंका चोपडा दोनों ने साथ-साथ, कौन बनेगा करोड़पति (Kaun Banega Crorepati) के उस साल के समापन समारोह में जीती हुई अपनी ५० लाख की धन राशि का आधा हिस्सा बांद्रा में स्थित संत. एंथोनी ओल्ड एज होम को दान दे दिया जून २००८ में, कपूर टीवी गेम शो क्या आप पांचवी पास से तेज़ हैं? (Kya Aap Paanchvi Pass Se Tez Hain?) में नज़र आई प्रेमी सैफ अली खान के साथ.कुल ५००,००० रुपयों की जीत की राशि में से आधी कपूर ने बान्द्रा स्थित सत. अन्थोनी ओल्ड आगे होम को दान दिए
व्यक्तिगत जीवन
बातुनी स्तंभकारों ने कपूर का नाम उनके कई सह- कलाकारों के साथ जोड़ा लेकिन उन्होंने इन सभी अफवाहों का जोरदार खंडन किया है साल २००४ में, वे अभिनेता शाहिद कपूर के साथ मिलने लगी। शाहिद कपूर (Shahid Kapoor) अनुभवी अभिनेता पंकज कपूर (Pankaj Kapoor) के बेटे हैं हालांकि जब वो शाहिद से मिला करती थी, अक्सर उनका ये रिश्ता मीडिया में छाया रहता था और एक बार वो मीडिया के केन्द्र में तब आए जब कुछ तमाशबीनों ने मोबाइल फ़ोन पर उनको चुम्बन लेते हुए फिल्माया और मीडिया में जारी कर दिया तीन साल बाद ये दोनों फ़िल्म जब वी मेट (Jab We Met) (२००७) के फिल्मांकन के दौरान अलग हो गए हालांकि शुरुआत में मीडिया को वो अपनी फ़िल्म को प्रचारित करने का एक तरीका लगा, लेकिन बाद में उनके रिश्ते की टूटने की बात की पुष्टि हो गई उनके अनुसार, अभी भी उनके बीच अच्छे सम्बन्ध हैं और उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा की, "मैंने शाहिद को उसकी पहली फ़िल्म से लेकर जब वी मेट तक देखा है और मैं यह कह सकती हूँ की उसमें बहुत ज़्यादा फर्क आया है। मेरे हिसाब से वो प्रतिभा का एक विस्फोटक गुच्चा है और बस फूटने का इंतज़ार कर रहा है मुझे एक अभिनेता के रूप में उन पर इतना विश्वास है
सितम्बर २००७ में, जब उनका कपूर के साथ अलगाव हुआ था, तब अफवाह उड़ी थी की अब वो अभिनेता सैफ अली खान के साथ हैं १८ अक्टूबर २००७, के दिन मनीष मल्होत्रा (Manish Malhotra) के लैक्मे फैशन वीक के भव्य समापन समारोह के दौरान, खान ने उनके रिश्तों के बारे बताया और कहा, “हाँ, हम इस बात को छतों पर चढ़ कर चिल्ला कर नहीं कह रहे हैं, लेकिन हम स्पष्ट रूप से एक साथ हैं। और हम एक साथ खुश हैं! ” उनका यह रिश्ता मीडिया की सुर्खियों में छाया रहता है और अक्सर प्रेस इनकी शादी या सगाई की संभावनाओं पर अटकलें लगाते रहते हैं हालांकि, उन दोनों ने इन अफवाहों से इनकार किया है।
साल २००६ में, कपूर ने ये घोषणा की थी की वो अपने वजन को ठीक रखने के लिए शाकाहारी बन जायेंगी
मीडिया में
एक ऐसा परिवार जिसकी फ़िल्म उद्योग जय -जयकार है, कपूर बहुत छोटी उम्र से ही मीडिया की चकाचौंध को झेलना पड़ा जबकि उन्होंने अभिनय की शुरुआत साल २००० तक नहीं की थी जब वो एक छोटी बच्ची थी तभी से वो अपनी माँ बबिता (Babita) और बहन करिश्मा के साथ पुरस्कार समारोहों में जाया करती थीं और अपनी बहन करिश्मा कपूर (Karisma Kapoor) की फ़िल्म के दौरान सेट पर मदद भी किया करती थीं हाल के सालों में, मीडिया की अटकलबाजी के जवाब में, कपूर ने मिडिया के साथ आवेगहीन रिश्ता बना लिया है और बिना किसी रुकावट के अपनी व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन की बातों को प्रेस के साथ बांटती हैं, मीडिया में आज कल उनकी यही छवि है
साल २००४ में, कपूर को रीडिफ़ द्वारा बॉलीवुड की सबसे अच्छी अदाकारों की श्रेणी में तीसरा स्थान दिया गया बाद में उन्हें क्रमशः साल २००५ में सातवाँ और २००६ में पांचवा स्थान दिया गया। और साल २००७ में वो फिर से तीसरे स्थान पर आ गईं इसके अलावा कपूर को रीडिफ़ द्वारा जारी अन्य सूचियों में बार बार शामिल किया गया, जिनमें शामिल है "बॉलीवुड की सबसे सुंदर अभिनेत्री", "बॉलीवुड की सबसे ज्यादा गरमा-गरम अभिनेत्री", बॉलीवुड की सबसे अच्छी सुसज्जित महिला" और “एक औरत जिसके अनेक चेहरे हैं” साल २००५ के दौरान, कपूर ने अपनी पहली झलक करन जोहर के टॉक शो कोफ़्फ़ी विथ करन (Koffee with Karan) में रानी मुख़र्जी के साथ नज़र आई, जबकि दो साल बाद वो शहीद कपूर और करिश्मा कपूर के साथ नज़र आईं उसके अगले साल, वो गायन प्रतिभा प्रतियोगिता इंडियन आइडल २ (Indian Idol 2) में प्रियंका चोपड़ा के साथ अतिथि न्यायकर्ता के रूप में नज़र आईं कई महीनो बाद, कपूर को डिजाइनर के लिए अभिनेता शहीद कपूर और उर्मिल्ला मातोंडकर के साथ फैशन सप्ताह २००६ में मनीष मल्होत्रा (Manish Malhotra) की "आज़ादी" शीर्षक वाली फैशन प्रदर्शनी में मॉडल के तौर पर रैंप पर चलने के लिए चुना गया
फ़रवरी २००७ में, कपूर इंडिया टाईम्स (Indiatimes)' द्वारा निकाली गई " बॉलीवुड की शीर्ष 10 सबसे गरमा-गरम अभिनेत्रियों की सूची में चौथा स्थान प्राप्त हुआ और उसी साल बाद में, उन्हें "२००६-०७ में सबसे ज्यादा कर भुगतान करने वाली" इकलौती अभिनेत्री बनी जुलाई में एक ऑनलाइन सर्वेक्षण में उन्हें अभिनेता आर. माध्वान (R. Madhavan) के साथ पेटा भारत के "सबसे आकर्षक शाकाहारी प्रसिद्द व्यक्ति" (PETA India) की विजेता घोषित किया गया बाद में इसी साल, ईस्टर्न आई (Eastern Eye) नामक ब्रिटेन की एक पत्रिका ने करीना को एशिया की सबसे आकर्षक महिला की सूचि में ८ वे स्थान पर रखा. साथ ही चंडीगढ़ में हुए कपिल देव की आई सी एल (इंडियन क्रिकेट लीग) (Indian Cricket League) के उदघाटन समारोह में प्रदर्शन करने वाले कई बॉलीवुड के प्रख्यात लोगों में करीना भी शामिल रहीं जून २००८ में कपूर ने २००८ आइफा फैशन में मनीष मल्होत्रा की एक्स्ट्रावैगैन्ज़ा फैशन प्रदर्शिनी में एक बार फिर रैंप पर चलीं ऑनलाइन सर्वेक्षण में उन्हें लगातार दूसरी बार क्रिकेटर श्रीसंथ (Sreesanth) के साथ पेटा भारत के "सबसे आकर्षक शाकाहारी प्रसिद्द व्यक्ति" की विजेता घोषित किया गया
अभिनय श्रेय
फिल्म | साल | भूमिका | अन्य नोट्स |
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रिफ्यूजी | २००० | नाजनीन "नाज़" एम. अहमद | फ़िल्मफेयर पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ नवोदित महिला पुरस्कार की विजेता |
मुझे कुछ कहना है' | २००१ | पूजा सक्सेना | |
यादें | २००१ | ईशा सिंह पुरी | |
अजनबी' | २००१ | प्रिया मल्होत्रा | |
अशोका | २००१ | कौर्वाकी | फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार के लिए नामांकित |
कभी खुशी कभी ग़म | २००१ | पूजा "पू" शर्मा | फ़िल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री पुरस्कार के लिए नामांकित |
मुझसे दोस्ती करोगे! | २००२ | टीना कपूर | |
जीना सिर्फ़ मेरे लिए | २००२ | पूजा/पिंकी | |
Talaash: The Hunt Begins... | २००३ | टीना | |
खुशी | २००३ | खुशी सिंह (लाली) | |
प्रेम की दीवानी मैं हूँ | २००३ | संजना | |
एलओसी कारगिल | २००३ | सिमरन | |
चमेली | २००४ | चमेली | विजेता, फ़िल्मफेयर विशिष्ठ प्रदर्शन पुरस्कार |
युवा | २००४ | मीरा | |
देव | २००४ | आलिया | सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए फ़िल्मफेयर समीक्षक पुरस्कार की विजेता |
फ़िदा | २००४ | नेहा मेहरा | खलनायक के रूप में पहली भूमिका |
ऐतराज़ | २००४ | प्रिया सक्सेना / मल्होत्रा | |
हलचल | २००४ | अंजलि | |
बेवफा | २००५ | अंजलि सहाय | |
क्यों की | २००५ | डॉ॰ तन्वी खुराना | |
दोस्ती: फ्रेंड्स फॉरएवर | २००५ | अंजलि | |
३६ चाइना टाऊन | २००६ | प्रिया | |
चुप चुप के | २००६ | श्रुति | |
ओमकारा | २००६ | डॉली आर. मिश्र | सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए फ़िल्मफेयर समीक्षक पुरस्कार की विजेता और फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार की लिए नामांकित. |
डॉन (2006 फ़िल्म) | २००६ | कामिनी | छोटा किरदार |
क्या लव स्टोरी है | २००७ | खुद | इट्स रोक्किंग गीत में विशेष उपस्थिति |
जब वी मेट | २००७ | गीत ढिल्लों | फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार की विजेता |
हल्ला बोल | २००८ | खुद | विशेष भूमिका |
टशन | २००८ | पूजा सिंह | |
रोडसाइड रोमियो | २००८ | लैला (voice) | एनिमेटेड फिल्म के लिए पहली बार आवाज़ दी |
गोलमाल रिटर्नस | २००८ | एकता | |
लक् बाई चांस | २००९ | खुद | विशेष भूमिका |
बिल्लू | २००९ | खुद | मरजानी गीत में विशेष उपस्थिति |
कमबख्त इश्क | २००९ | डॉ . सिमरन | |
मैं और मिसेस खन्ना | २००९ | मिसेस खन्ना | फिल्मांकन |
थ्री ईडियट्स | २००९ | प्रिया | |
मिलेंगे मिलेंगे ([:en:Milenge Milenge Milenge Milenge]) | २०१० | प्रिया | |
बाँडीगाड | २०११ | 'प्रिया मेडम' | 'सुपरहिट फिल्म' |
वीरे दी वेडिंग | २०१८ | ||
लाल सिंह चड्ढा | २०२० |