आमिर ख़ान

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आमिर ख़ान

नाम :मोहम्मद आमिर हुसैन खान
उपनाम :एके
जन्म तिथि :14 March 1965
(Age 58 Yr. )

व्यक्तिगत जीवन

शिक्षा 12वीं कक्षा
जाति सुन्नी
धर्म/संप्रदाय इस्लाम
व्यवसाय अभिनेता, फ़िल्म निर्माता & निर्देशक, लेखक
स्थान मुम्बई, महाराष्ट्र, भारत,

शारीरिक संरचना

ऊंचाई 5.6 (फ़ीट में)
वज़न लगभग 70 (किग्रा में)
शारीरिक माप छाती: 40, कमर: 30, बाइसेप्स: 13, (इंच में)
आँखों का रंग भूरा
बालों का रंग काला

पारिवारिक विवरण

अभिभावक

पिता - स्वर्गीय ताहिर हुसैन
माता- ज़ीनत हुसैन

वैवाहिक स्थिति Divorced
जीवनसाथी रीना दत्ता (वि. 1986; विभा. 2002) किरण राव (वि. 2005; विभा. 2021)
बच्चे/शिशु

बेटा- जुनैद खान (पहली पत्नी से), आजाद राव खान (दूसरी पत्नी से)

बेटी- इरा खान (पहली पत्नी से)

भाई-बहन

भाई- फैसल खान
बहनें- फरहत खान, निखत खान

पसंद

भोजन भारतीय और मुगलई व्यंजन, दाल और चावल
खेल टेनिस, क्रिकेट
गायक अरिजीत सिंह
अभिनेत्री वहीदा रहमान, गीता बाली, मधुबाला, श्रीदेवी
अभिनेता अमिताभ बच्चन, दिलीप कुमार, डेनियल डे लुईस, लियोनार्डो डिकैप्रियो, गोविंदा

आमिर ख़ान(जन्म आमिर हुसैन ख़ान ; मार्च 14, 1965) एक भारतीय फ़िल्म अभिनेता, निर्माता, निर्देशक, पटकथा लिखनेवाले, कभी कभी गायक और आमिर ख़ान प्रोडक्सनस के संस्थापक-मालिक है।

अपने चाचा नासिर हुसैन की फ़िल्म यादों की बारात (1973) में एक बाल कलाकार की भूमिका में नज़र आए थे और ग्यारह साल बाद ख़ान का करियर फ़िल्म होली (1984) से आरम्भ हुआ उन्हें अपने चचेरे भाई मंसूर ख़ान के साथ फ़िल्म क़यामत से क़यामत तक (1988) के लिए अपनी पहली व्यवसायिक सफलता मिली और उन्होंने फ़िल्म में एक्टिंग के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ मेल नवोदित पुरस्कार (सर्वश्रेष्ठ नवोदित पुरूष कलाकार के लिए फ़िल्मफेयर पुरस्कार) जीता। पिछले आठ नामांकन के बाद 1980 और 1990 के दौरान, ख़ान को राजा हिन्दुस्तानी (1996), के लिए पहला फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार मिला जो अब तक की उनकी एक बड़ी व्यवसायिक सफलता थी।

उन्हें बाद में फिल्मफेयर कार्यक्रम में दूसरा सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार और लगान में उनके अभिनय के लिए 2001 में कई अन्य पुरस्कार मिले और अकादमी पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया। अभिनय से चार साल का सन्यास लेने के बाद, केतन मेहता की फ़िल्म द रायजिंग (2005) से ख़ान ने वापसी की। २००७ में, वे निर्देशक के रूप में फ़िल्म तारे ज़मीन पर का निर्देशन किया, जिसके लिए उन्हें फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ निर्देशक पुरस्कार दिया गया। कई कमर्शियल सफल फ़िल्मों का अंग होने के कारण और बहुत ही अच्छा अभिनय करने के कारण, वे हिन्दी सिनेमा के एक प्रमुख अभिनेता बन गए हैं।

पारिवारिक पृष्ठभूमि

आमिर ख़ान बांद्रा के होली फेमिली अस्पताल, मुंबई, भारत में एक ऐसे मुस्लिम परिवार में जन्म लिए जो भारतीय मोशन पिक्चर में दशकों से सक्रिय थे। उनके पिता, ताहिर हुसैन एक फ़िल्म निर्माता थे जबकि उनके दिवंगत चाचा, नासिर हुसैन, एक फ़िल्म निर्माता के साथ-साथ एक निर्देशक भी थे। मौलाना अबुल कलाम आजाद के वंशज होने के कारण, उनकी जड़ें अफगानिस्तान के हेरात शहर में देखे जा सकते हैं। वे भारत के पूर्व राष्ट्रपति, डॉ॰जाकिर हुसैन के भी वंशज हैं और भारत की अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री, डॉ॰नजमा हेपतुल्ला के दूसरे भतीजे भी हैं।

फ़िल्म करियर

ख़ान ने अपना फ़िल्मी करियर की शुरुआत एक बाल कलाकार के रूप में नासिर हुसैन द्बारा गृह निर्मित, निर्माण व निर्देशित फ़िल्म यादों की बारात (1973) और मदहोश (1974) से की। ग्यारह साल बाद, उन्हें एडल्ट अभिनय डेब्यू का मौका मिला जिस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया, वह थी केतन मेहता की होली (1984).

ख़ान का पहला मुख्य किरदार 1988 के दौरान फ़िल्म क़यामत से क़यामत तक में नज़र आया, जिसे उनके भतीजे और नासिर हुसैन के बेटे मंसूर ख़ान ने निर्देशित किया था। क़यामत से क़यामत तक बॉक्स ऑफिस पर काफी सफल रही और इसने ख़ान के करियर को एक लीडिंग अभिनेता के तौर पर आगे बढाया.एक टिपिकल 'चॉकलेट अभिनेता' के रूप में उन्हें किशोरों का आदर्श माना जाने लगा। उसके बाद वे '80 और '90 की शुरुआत में कई फ़िल्मों में दिखे: दिल (1990), जो साल का सबसे बड़ा व्यवसायिक हिट रही,[5] दिल है की मानता नहीं (1991), जो जीता वही सिकंदर (1992), हम हैं राही प्यार के (1993) (जिसके लिए उन्होंने पटकथा भी लिखा) और रंगीला (1995).इनमे से अधिकतर फ़िल्में आलोचनात्मक व व्यवसायिक दृष्टि से सफल रहीं। दूसरी सफल फ़िल्में अंदाज अपना अपना, जिसमें सह-अभिनेता सलमान ख़ान थे। इसके रिलीज के समय फ़िल्म असफल रही परन्तु बाद में इसने अच्छी स्थिति बना ली।

ख़ान साल में एक या दो फ़िल्में ही करते हैं, जो मेनस्ट्रीम हिन्दी सिनेमा अभिनेता के लिए कुछ अलग बात है। उनकी 1996 में एकमात्र रिलीज थी धर्मेश दर्शन द्वारा निर्देशित व्यवसायिक ब्लॉकबस्टर राजा हिन्दुस्तानी जिसमे उनके विपरीत करिश्मा कपूर थी। इस फ़िल्म से उन्हें पिछले 8 नामांकनों के बाद पहला फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार मिला जो 1990 साल का बहुत बड़ी हिट थी और तीसरा सर्वाधिक कमाई करने वाला भारतीय फ़िल्म रही। ख़ान के कैरियर ने इस समय तक ठहराव पा लिया था और उनकी ज्यादातर फ़िल्में आने वाले समय में कम सफल रही। 1997 में उन्होंने अजय देवगन और जूही चावला के विपरीत फ़िल्म इश्क में काम किया, जो आलोचकों के लिए ख़राब परन्तु बॉक्स ऑफिस पर हिट रही। १९९८ में, ख़ान मध्यम सफल फ़िल्म ग़ुलाम में नज़र आए, जिसमें उन्होंने पार्श्व गायन भी किया। जॉन मेथ्यु मथान की सरफ़रोश (1999) ख़ान की 1999 के दौरान पहला रिलीज था थोडी सफल और बॉक्स ऑफिस पर औसत रही, जबकि फ़िल्म को आलोचकों ने सराहा. एक समर्पित, इमानदार और भ्रष्टता से दूर पुलिस के रूप में ख़ान का अभिनय सीमा पार आतंक को रोकना था, जिसकी तारीफ हुई। उन्होंने दीपा मेहता की कलात्मक फ़िल्म अर्थ में काम किया। 1999 के दौरान पहली रिलीज थी जो थोड़ी सफल और बॉक्स ऑफिस पर औसत रही, जबकि फ़िल्म को आलोचकों ने सराहा. नए शताब्दी में उनकी पहली रिलीज,मेला थी जिसमे उन्होंने वास्तविक जीवन के भाई फैसल ख़ान, के साथ काम किया, यह एक बॉक्स-ऑफिस और आलोचकों की नज़र में हिटबोम्ब (bomb) साबित हुई।

ख़ान ने अपना निर्माण कंपनी, आमिर ख़ान प्रोडक्शन बनाकर अपने पुराने दोस्त आशुतोष गोवारिकर की स्वप्निल फ़िल्म लगान को वित्तीय सहायता किया। यह फ़िल्म 2001 में रिलीज हुई, जिसमें आमिर ख़ान मुख्य अभिनेता थे। यह फ़िल्म आलोचकों और कॉमर्शियल की नज़र से सफल रही[13] और इसे सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा फ़िल्म के लिए 74 वें एकेडमी पुरस्कार में भारत के आधिकारिक सूची (India's official entry) में चुन लिया गया। फलतः यह चुन लिया गया और अन्य चार विदेशी फ़िल्मों के साथ उसी वर्ग में नामांकन हुआ, लेकिन नो मेंस लैंड से हार गया। इसके अलावा फ़िल्म को कई अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म फेस्टिवल्स में सराहा गया, साथ ही बॉलीवुड के कई पुरस्कार मिले जिनमें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार भी शामिल है। ख़ान अपना दूसरा फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार जीता जबकि ऑस्कर में लगान को निराशा मिला। परन्तु चीज़ें हमारा उत्साह बनाये रखती है, कि सारा देश हमारे साथ है।"

लगान की सफलता के बाद उसी साल आगे दिल चाहता है जिसमें ख़ान के साथ थे अक्षय खन्ना और सैफ अली ख़ान, प्रीटी जिंटा. इस फ़िल्म का लेखन और निर्देशन नए नए आए फरहान अख्तर ने किया। आलोचकों के अनुसार, इस फ़िल्म में युवा वर्ग का सही चित्रांकन किया गया जो वे आज हैं। इसके चरित्र नए, मनभावन और सार्वभौमिक थे। यह फ़िल्म मध्यम सफल रही और शहरों में ज़्यादा चली.

ख़ान ने अपने निजी कारणों के कारण 4 साल का संन्यास लिया और 2005 में केतन मेहता की मंगल पांडे - द राइज़िंग फ़िल्म में एक सिपाही और एक शहीद के वास्तविक जीवन पर आधारित जो १८५७ का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम या “भारतीय आज़ादी की पहली लड़ाई” को बढाया था, में अभिनय किया।

राकेश ओमप्रकाश मेहरा की पुरस्कार विजेता फ़िल्म, रंग दे बसंती, 2006 में ख़ान का पहला रिलीज था। उन्हें आलोचकों की तारीफ मिली, सर्वश्रेष्ठ अभिनय के लिए फिल्मफेयर आलोचना और सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार जीता। यह फ़िल्म साल की सबसे कमाई करने वाली फ़िल्म रही, और इसे ऑस्कर में भारत के आधिकारिक प्रवेश सूचि में चुना गया.जबकि फ़िल्म को नामिति के तौर पर नहीं चुना गया, इसे इंग्लैंड में BAFTA पुरस्कार के दौरान सर्वश्रेष्ठ विदेशी फ़िल्म का नामांकन मिला। ख़ान की अगली फ़िल्म, फना (2006) की भी तारीफ की गई, और 2006 की सर्वाधिक कमाई करने वाला भारतीय फ़िल्म रही।

उनकी 2007 की फ़िल्म, तारे ज़मीन पर (एक शिक्षक के बारे में जो डाइस्लेक्सिक से ग्रस्त बच्चे से दोस्ती व सहायता करता है), जिसे ख़ान ने निर्माण किया और अभिनय भी किया, उनका निर्देशन के क्षेत्र में पहला कदम था। यह फ़िल्म आमिर ख़ान प्रोडक्शन्स की दूसरी फ़िल्म थी, जिसे सराहना और दर्शकों दोनों से अच्छा रेस्पॉन्स मिला। उन्हें फ़िल्मफेयर में सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म और सर्वश्रेष्ठ निर्देशक पुरस्कार मिला, एक अच्छे निर्देशक और कहानी लेखक के रूप में जगह बने।

२००८ में, ख़ान ने अपने भतीजे इमरान ख़ान को फ़िल्म जाने तू या जाने ना में लॉन्च किया। यह फ़िल्म आलोचनात्मक व व्यवसायिक दृष्टि से काफी सफल रही।

निजी जीवन

क़यामत से क़यामत तक, के वर्षों में, ख़ान ने रीना दत्ता के साथ विवाह किया। उनके अभिभावक ने इस विवाह को मंजूर नहीं किया क्योंकि वह मुस्लिम नहीं थी। इस कारण से, ख़ान की शादी अभिभावक और प्रेस-मीडिया दोनों से छिपी रही। एक लोकप्रिय गाना पापा कहतें हैं क़यामत से क़यामत तक में दत्ता ने छोटी सी भूमिका निभाया था। ख़ान की शादी की ख़बर ने भी सामने आने पर मीडिया में हंगामा मचा दिया। रीना दत्ता ने शोर नहीं किया और ट्रेवल एजेंसी में काम जारी रखा। उनके दो बच्चे जुनैद और बेटी, इरा और वे दुनिया की नज़र से दूर ही रहे। रीना ने ख़ान के कैरियर में लगान के लिए निर्माता के रूप में काम किया। दिसम्बर २००२ में, आमिर ने तलाक के लिए अर्ज़ी दी, रीना से अपने १५ वर्ष की विवाहित जिंदगी को समाप्त करते हुए, दोनों बच्चों को अपने अधिकार में लेते हुए 28 दिसम्बर 2005 को आमिर ने किरण राव से शादी की जो आशुतोष गोवारिकर की फ़िल्म लगान के दौरान उनकी सह निर्देशक थी।

हाल ही में भाई फैसल ने उन्हें मीडिया में बदनाम यह कहते हुए किया कि वह उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रहे हैं और उन्हें दवा लेने को मजबूर किया। फैसल को मानसिक बिमारी से त्रस्त बताया गया। 31 अक्टूबर 2007 को बॉम्बे उच्च न्यायालय ने फैसल की अस्थाई अभिरक्षा उनके पिता, ताहिर हुसैन को दी। ख़ान के परिवार ने सार्वजनिक बयान देकर इस मामले में समर्थन किया। कथन पर उसकी पूर्व पत्नी, रीना दत्ता द्वारा भी हस्ताक्षर किया गया।

जबकि उन्हें कई भारतीय पुरस्कार मिले हैं, ख़ान शायद ही किसी भारतीय पुरस्कार समारोह में जाते हैं और कहते है कि उन्हें इस तरह चुनाव जीतने के तरीके पर भरोसा नहीं है।..वे लगान के ऑस्कर में नामांकन के लिए सबसे पहले पहुंचे। 2007 में, ख़ान को लन्दन में मैडम तुसाद का मोम का पुतला बनने के लिये बुलाया गया था। ख़ान ने यह कह कर मना कर दिया कि मेरे लिए यह महत्वपूर्ण नहीं है, यदि लोग मुझे देखना चाहते है तो मेरी फ़िल्म देखें। साथ ही मैं इतनी सारी चीजें नहीं कर सकता. मेरे पास इतनी ही ताकत है।

फ़िल्म

अभिनेता

वर्षफ़िल्मभूमिकाअन्य नोट्स
1973यादों की बारातयंग रतन 
1974मदहोशबाल कलाकार 
1984होलीमदन शर्मा 
1988क़यामत से क़यामत तकराजविजेता, फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ मेल डिबत पुरस्कार
नामांकित, फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
1989राखआमिर हुसैननामांकित, फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
लव लव लवअमित 
1990अव्वल नम्बरसन्नी 
तुम मेरे होशिवा 
दिलराजानामांकित, फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
दीवाना मुझ सा नहींअजय शर्मा 
जवानी जिंदाबादशशि 
1991अफ़साना प्यार काराज 
दिल है की मानता नहींरघु जेटलीनामांकित, फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
इसी का नाम जिंदगीछोटू 
दौलत की जंगराजेश चौधरी 
1992जो जीता वही सिकंदरसंजयलाल शर्मानामांकित, फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
1993परंपरारणबीर पृथ्वी राज चौहान 
हम हैं राही प्यार केराहुल मल्होत्रानामांकित, फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
1994अंदाज अपना अपनाअमरनामांकित, फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
1995बाज़ीइंसपेक्टर अमर दमजी 
आतंक ही आतंकरोहन 
रंगीलामुन्ना 
अकेले हम अकेले तुमरोहितनामांकित, फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
1996राजा हिन्दुस्तानीराजा हिन्दुस्तानीविजेता, फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
1997इश्कराजा 
1998ग़ुलामसिद्धार्त मराठेनामांकित, फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
नामांकित, फिल्मफेयर बेस्ट मेल पार्श्व पुरस्कार (Filmfare Best Male Playback Award)
1999सरफ़रोशअजय सिंह राठोड़नामांकित, फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
मनकारन देव सिंह 
अर्थ (1947)दिल नवाजओस्कर में भारत की आधिकारिक प्रवेश (India's official entry to the Oscars)
2000मेलाकिशन प्यारे 
2001लगानभुवनविजेता, फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता
नामांकित, सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा फ़िल्म के लिए अकेडमी पुरस्कार (Academy Award for Best Foreign Language Film)
दिल चाहता हैआकाश मल्होत्रानामांकित, फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ट अभिनेता पुरस्कार
2005मंगल पांडे: द राइज़िंगमंगल पांडेनामांकित, फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ट अभिनेता पुरस्कार
2006रंग दे बसंतीदलजीत Singh (DJ)विजेता, सर्वश्रेष्ठ अभिनय के लिए फिल्मफेयर सराहना पुरस्कार (Filmfare Critics Award for Best Performance)
में नामांकित, फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
सर्वश्रेष्ठ गैर अंग्रेजी फ़िल्म के लिए BAFTA पुरस्कार (BAFTA Award for Best Film Not in the English Language) और
ओस्कर में भारत का आधिकारिक प्रवेश (India's official entry to the Oscars)
फनारेहान कादरी 
2007तारे ज़मीन परराम शंकर निकुम्बनामांकित, फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ट सहायक अभिनेता
2008गजनीसन्जय सिघानिया28 नवम्बर, 2008
2009थ्री इडियट्सरणछोड़दास चांचड़(फुन्सुक वांगड़ू) 
2011धोबीघाटअरुण 
2012तलाश : द आंसर लाइज वीथिनइंस्पेक्टर सुरजन सिंह सेखावत 
2013धूम 3शाहिर/ समर 
2014पीकेपीके 
2015दिल धड़कने दोप्लूटो मेहरा 
2016दंगलमहावीर सिंह फोगाट 
2018ठग्स ऑफ हिंदोस्तानफिरंगी मल्लाहपहले दिन सबसे ज्यादा कमाई करने वाली हिंदी फिल्म

पार्श्व गायन

सालफ़िल्मगीत
1998ग़ुलामआती क्या खंडाला
2000मेलादेखो 2000 ज़माना आ गया
2005द रायसिंग (The Rising)होली रे
2006फनाचंदा चमके और मेरे हाथ में
2007तारे ज़मीन परबम बम बोले

निर्माता

सालफ़िल्मनिर्देशक
2001लगानआशुतोष गोवारीकर (Ashutosh Gowariker)
विजेता, फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार
2007तारे ज़मीन परआमिर ख़ान
विजेता, फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार
2008जाने तू या जाने नाअब्बास टायरवाला

लेखक / निदेशक

सालफ़िल्मनोट्स
1988क़यामत से क़यामत तककहानी लेखक
1993हम हैं राही प्यार केपटकथा लेखक (Screenwriter)
2007तारे ज़मीन परनिर्देशक
विजेता, फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ निर्देशक पुरस्कार


 

Readers : 149 Publish Date : 2023-03-25 07:34:10