विव रिचर्ड्स

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विव रिचर्ड्स

नाम :सर इसाक विवियन अलेक्जेंडर रिचर्ड्स
उपनाम :विव, मास्टर ब्लास्टर, स्मोकिन जो, स्मोकी, किंग विव, द एम्परर
जन्म तिथि :07 September 1952
(Age 71 Yr. )

व्यक्तिगत जीवन

धर्म/संप्रदाय ईसाई धर्म
राष्ट्रीयता एंटीगुआ
व्यवसाय पूर्व वेस्ट इंडीज क्रिकेटर
स्थान सेंट जॉन्स, ब्रिटिश लीवार्ड द्वीप समूह,

शारीरिक संरचना

ऊंचाई लगभग 5.10 फ़ीट
वज़न लगभग 80 किग्रा
शारीरिक माप सीना: 42 इंच - कमर: 35 इंच - बाइसेप्स: 13 इंच
आँखों का रंग काला
बालों का रंग काला

पारिवारिक विवरण

अभिभावक

पिता : मैल्कॉम रिचर्ड्स (प्रथम श्रेणी क्रिकेटर)
माता : ग्रेटेल रिचर्ड्स

वैवाहिक स्थिति Married
जीवनसाथी

मरियम

बच्चे/शिशु

बेटे : माली रिचर्ड्स (क्रिकेटर), मतारा रिचर्ड्स (क्रिकेटर)
बेटी : मसाबा गुप्ता (कॉस्ट्यूम डिजाइनर)

भाई-बहन

भाई : डोनाल्ड रिचर्ड्स (हाफ) (प्रथम श्रेणी क्रिकेटर), मर्विन रिचर्ड्स (फुटबॉल खिलाड़ी)

सर इसाक विवियन एलेक्जेंडर रिचर्ड्स, केजीएन, ओबीई वेस्टइंडीज के पूर्व क्रिकेटर हैं। क्रिकेट जगत में इनके दूसरे नाम विवियन या, विव और किंग विव के रूप अधिक लोकप्रिय नाम से जाना जाता है, रिचर्ड्स को 100 सदस्यों के विशेषज्ञ पैनल ने बीसवीं शताब्दी के पांच महान खिलाड़ियों की सूची में शामिल किया है, इस सूची में विवियन रिचर्ड्स के अलावा सर डोनाल्ड ब्रेडमैन, सर गैरीफील्ड सोबर्स, सर जैक हॉब्स और महान लेग स्पिनर शेन वार्न का नाम भी शामिल है। फरवरी 2002 में क्रिकेट की बाइबल कही जाने वाली क्रिकेट पत्रिका विजडन द्वारा विवियन रिचर्ड्स की एक पारी को वन डे अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट (ओडीआई) की सर्वश्रेष्ठ इनिंग घोषित किया गया। इसी वर्ष दिसंबर में विज़डन ने उन्हे वन डे क्रिकेट का सर्वकालीन और टेस्ट क्रिकेट के तीन महान बल्लेबाज़ों में से एक घोषित किया, सवा सौ साल के क्रिकेट इतिहास में सिर्फ दो बल्लेबाज़ सर डान ब्रेडमैन और भारत के सचिन तेंदुलकर का स्थान ही उनसे ऊपर आंका गया है।

व्यक्तित्व और खेल शैली

रिचर्ड्स दाएं हाथ के एक आक्रामक बल्लेबाज़ थे, जो गेंद पर काफी शक्ति से प्रहार करते थे, इसके अलावा वे स्लिप के अच्छे फील्डर और उपयोगी ऑफ़ स्पिनर भी थे। क्रिकेट इतिहास में उन्हे एक ऐसे बल्लेबाज़ के रूप में जाना जाता है, जो किसी भी तरह के आक्रामण की धज्जियां उड़ाने में महारत रखता था, पूर्व क्रिकेटर, उनके समकालीन, क्रिकेट पत्रकार और इस खेल के प्रशंसक सभी ने रिचर्डस को असाधारण प्रतिभा वाला क्रिकेटर बताया है, रिचर्डस की आक्रमकता का अंदाज़ा इससे लगाया जा सकता ह कि अपने सत्रह साल के लम्बे कैरियर के दौरान उन्होने कभी भी बैटिंग करते हुए हेल्मेट का इस्तेमाल नहीं किया।

पाकिस्तान के तेज़ गेंदबाज़ और महान आलराउंडर इमरान खान और क्रिकेट विशेषज्ञ जॉह्न बर्मिंघम के अनुसार रिचर्ड्स विशुद्ध तेज़ गेंदबाज़ों का जितनी आसानी से सामना करते थे, उतनी सहजता से कोई अन्य बल्लेबाज़ नहीं कर सकता था। कई पूर्व क्रिकेटर एक बल्लेबाज़ के तौर पर उनकी प्रतिभा का काफी सम्मान करते हैं। इयान चैपल का कहना है कि सर गैरीफील्ड सोबर्स के बाद उन्होने रिचडर्स जैसा प्रतिभाशाली बल्लेबाज़ नहीं देखा, जबकि महान दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाज़ बैरी रिचर्ड्स, पूर्व भारतीय कप्तान और कमेंटेटर रवि शास्त्री औऱ इंग्लैंड के पूर्व बल्लेबाज़ नील फेयरब्रदर के अनुसार उन्होने अपने जीवन में रिचर्ड्स जैसा दूसरा कोई बल्लेबाज़ नहीं देखा. बाएं हाथ के महान तेज़ गेंदबाज़ वसीम अकरम, रिचर्ड्स को सुनील गावस्कर और मार्टिन क्रो से बेहतर बल्लेबाज़ मानते हैं। न्यूज़ीलैंड के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ माने जाने वाले मार्टिन क्रो रिचर्ड्स की तारीफ़ करते हुए कहते हैं कि, अपने पूरे कैरियर के दौरान उन्होने विपक्षी टीम और गेंदबाज़ों को भयभीत करने वाला दूसरा कोई खिलाड़ी नहीं देखा. आक्रमण को तहस-नहस करने की रिचर्ड्स की इसी विशेषता के कारण डोनाल्ड ब्रेडमैन, गैरी सोबर्स औऱ ग्रेग चैपल के साथ रिचर्ड्स भी इस किवी बल्लेबाज़ के आदर्श खिलाड़ियों में से एक थे।

आईसीसी द्वारा टेस्ट और वन डे क्रिकेट इतिहास के सर्वकालीन महान बल्लेबाज़ और गेंदबाज़ के चयन के लिए रैकिंग प्रणाली किया गया। टेस्ट क्रिकेट में रिचर्डस को आस्ट्रेलिया के सर डोनाल्ड ब्रेडमैन, इंग्लैंड के सर लेन हटन, सर जैक हॉब्स और पीटर में के बाद सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ घोषित किया। जबकि एक दिवसीय क्रिकेट का उन्हे निर्विवाद शहशांह घोषित किया गया, पाकिस्तान के ज़हीर अब्बास दूसरे और आस्ट्रेलिया के ग्रेग चैपल को तीसरा स्थान मिला। इस रैकिंग की चयन प्रणाली का मापदंड खिलाड़ियों के सर्वश्रेष्ठ दिनों में खेले गए मैचों के प्रदर्शन तक ही सीमित था, दूसरे अन्य किसी कारणों को खिलाड़ियों की श्रेष्ठता का आधार नहीं बनाया गया था, हांलाकि इस पद्धति की कुछ क्रिकेट जानकारों ने आलोचना भी की, लेकिन वो भी रिचडर्स की महानता से इंकार नहीं करते.

2004 में स्पोर्ट्स चैनल ईएसपीएन द्वारा कराए गए एक पोल में रिचर्ड्स को ब्रेडमैन और सोबर्स के बाद क्रिकेट इतिहास का महान खिलाड़ी चुना गया और ब्रैडमैन के बाद अभी तक दूसरा महान बल्लेबाज चुना गया, खास बात ये हैं कि इस पोल में क्रिकेट इतिहास के पन्द्रह महान खिलाड़ियों ने भाग लिया था। एक अन्य पोल में रिचर्ड्स को इयान बाथम और शेन वार्न की तुलना में 1970 से लेकर अब तक खेल चुके क्रिकेटरों में सर्वक्षेष्ठ क्रिकेटर निर्वाचित किया गया। इस पोल में बाथम और वार्न भी शामिल थे और उन्होने अपना मत रिचर्ड्स के पक्ष में डाला, दोनों की नजर में विवियन रिचर्डस जैसा बल्लेबाज़ उन्होने कभी नहीं देखा. 2006 में इएसपीएन की क्रिकइंफो मैगज़ीन की एक स्टडी में रिचर्ड्स को एक बार फिर वन ड क्रिकेट का सर्वकालीन महान बल्लेबाज़ घोषित किया। इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर डेरिक प्रिंगल ने भी रिचर्ड्स को वन डे क्रिकेट इतिहास का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी बताया है।

रिचडर्स के बल्लेबाज़ी की अपनी शैली थी, मैदान पर दाखिल होने से लेकर पिच पर पहुंचने तक का उनका विशेष अंदाज़ आज भी क्रिकेट प्रशंसकों के ज़हन में ताज़ा है। उनकी बल्लेबाजी शैली का वर्णन करने के लिए अक्सर "अकड़" शब्द का इस्तेमाल किया जाता था। उनकी बल्लेबाजी अक्सर पूरी तरह से गेंदबाजों के विरोध में हावी होती थी। उनकी नज़र इतनी पैनी और उनकी टाइमिंग इतनी सटीक होती थी कि वो ऑफ़ स्टंप के बाहर पड़ी गुडलेंथ की गेंद को भी मिडविकेट पर आसानी से खेल जाते थे, रिचर्ड्स के हूक शाट खेलने का अंदाज़ भी निराला था।

अंतर्राष्ट्रीय कैरियर

वेस्ट इंडियन क्रिकेट टीम के लिए रिचर्डस ने अपने पहले अंतरास्ट्रीय कैरियर की शुरुआत 1974 में भारत के विरुद्ध बेंगलूरू टेस्ट से की। इस सीरीज़ के दौरान नई दिल्ली में खेले गए दूसरे टेस्ट में उन्होने 192 रनों की शानदार पारी खेली. वेस्ट इंडीज उन्हें एक मज़बूत ओपनर के रूप में देखते थे और उनकी शुरूआती क्रिकेट के दिनों में उनकी प्रोफाइल को ऊपर ही रखा गया।

इस दौरान उन्होने 121 टेस्ट मैच खेले, इन मैचों में उन्होने 50.23 की औसत से 24 शतकों की सहायता से 8540 रन बनाये। 1977-79 के दौरान कैरी पैकर की क्रिकेट विश्व सीरीज़ में भी उन्होने शानदार बल्लेबाज़ी करते हुए पांच शतक लगाये. हांलाकि आईसीसी ने इस सीरीज़ को मान्यता नहीं दी, नहीं तो उनका रिकार्ड और बेहतर होता, लेकिन इस श्रृंखला में खेले गए अच्छी क्रिकेट का अर्थ था कि वे उनके 24 टेस्ट शतक के अलावा वे यकीनन रैंक के योग्य हो सकते थे। रिचर्डस ने जिन पचास टेस्ट मैचों में कैरिबियाई टीम का नेतृत्व किया, उनमें 27 मैचों में वेस्टइंडीज़ विजयी रहा, जबिक मात्र आठ टेस्ट मैचों में ही उसे हार का सामना करना पड़ा. 1986 में इंग्लैंड के वेस्टइंडीज़ दौरे के दौरान उन्होने टेस्ट क्रिकेट का सबसे तेज़ शतक लगाने का गौरव हासिल किया, अपने गृह मैदान एंटीगुआ में खेले गए इस टेस्ट में उन्होने मात्र 56 गेंदों में ही सेंचुरी पूरी कर ली। रिचर्ड्स ने टेस्ट क्रिकेट में कुल 84 छक्के लगाये. टेस्ट क्रिकेट में उनका उच्चतम स्कोर 291 है, व्यक्तिगत स्कोर के लिहाज़ से ये कैरिबियाई बल्लेबाज़ों द्वारा बनाया गया ये छठा उच्चतम स्कोर है।

1975 में खेले गए पहले एक दिवसीय क्रिकेट विश्व कप में रिचर्ड्स के शानदार प्रदर्शन की बदौलत वेस्टइंडीज़ खिताब जीतने में सफ़ल रहा। आस्ट्रेलिया के खिलाफ़ खेले गए फाइनल में उन्होने निर्णायक मौकों पर एलन टर्नर, इयान चैपल और ग्रेग चैपल को रन आउट कर वेस्टइंडीज़ को विश्व चैम्पियन बनने का गौरव दिलाया। रिचडर्स इस क्षण को अपने क्रिकेट कैरियर का सर्वश्रेष्ठ पल बताते हैं, पहले विश्व कप में उनकी फील्डिंग ने टीम को चैम्पियन बनाया तो 1979 में खेले गए फ़ाइनल में उनकी बल्लेबाज़ी ने जीत की इबारत लिखी, इंग्लैंड के खिलाफ़ लॉर्ड्स में खेले गए फाइनल में उन्होने शानदार शतक जड़ा. रिचर्ड्स का मानना था कि अलग अलग द्वीपों का प्रतिनिधित्व करने के बावजूद खिलाड़ियों ने आपसी एकता का अद्भुत प्रदर्शन किया।. 2005 तक वन डे क्रिकेट इतिहास के वो एक मात्र ऐसे खिलाड़ी थे, जिसने एक ही मैच में शतक जड़ने के साथ ही मैच में पांच खिलाड़ियों को भी आउट किया, ये कारनामा उन्होने 1986-87 में न्यूज़ीलैंड के खिलाफ़ ड्यूनेडिन वन डे में अंजाम दिया। 1984 में ओल्ड ट्रैफर्ड में खेले गए वन डे में उन्होने उन वक्त की सर्वोच्च और चमत्कारिक पारी खेली, टीम को दयनीय स्थिति से उबारते हुए उन्होने माइकल होल्डिंग के साथ 189 रनों की यादगार पारी खेली.

1976 उनके कैरियर का यादगार वर्ष था, इस वर्ष उन्होने मात्र 11 टेस्ट में सात शतकों की सहायता से 90.00 रन की औसत से 1710 रन बनाये। इस उपलब्धि के बाद इसी दौरान उन्होने ग्रंथिमय बुखार की वजह से लार्ड्स टेस्ट में भाग नहीं लिया, इसकी कसर उन्होने ओवल में 291 रनों की पारी खेल कर पूरी की। एक कैलेंडर वर्ष में रिचर्ड्स का ये रिकार्ड तीस वर्षों तक क़ायम रहा, जिसे बाद में पाकिस्तान के मोहम्मद यूसुफ़ ने 30 नवम्बर 2006 में तोड़ा.

1983 में लायड के सन्यास के बाद रिचर्ड्स को टीम की कमान सौंपी गई। उन्होने पचास मैचों में टीम का नेतृत्व किया। वो एकमात्र वेस्टइंडीज़ कप्तान हैं, जिनके नेतृत्व में कैरिबियाई टीम ने कोई टेस्ट सीरीज़ नहीं गंवाई, कहा जाता है कि रिचर्ड्स को हार पसन्द नहीं थी। इतने शानदार रिकार्ड के बावजूद उनकी कप्तानी विवादों से अछूती नहीं रही। वो कभी कभी एम्पायरों को गलत तरीके से दबाव भी डाल देते थे, 1990 में बारबडोस टेस्ट के दौरान उनकी इसी आदत के चलते एम्पायर ने इंग्लिश बल्लेबाज़ रोब बेली को आउट ने होने के बावजूद आउट दिया, विज़डन ने इस घटना को अभद्र और कुरुप बताते हुए रिचर्ड्स की काफ़ी आलोचना की। सबसे बुरे रूप में, यह योजनाबद्ध खेल गणना थी". इस तरह की घटना आज हो तो खिलाड़ी को आईसीसी कोड ऑफ कंडक्ट की धारा 2.5 के अन्तर्गत दोषी ठहराते हुए उस पर जुर्माना ठोंक दिया जाए.

अंग्रेजी काउंटी क्रिकेट

रिचर्ड्स का काउटी केरियर भी लाजवाब है, इंग्लिश काउंटी समरसैट के लिए उन्होने कई यादगार पारियां खेली और टीम को खिताबी सफ़लता दिलाने में अहम भूमिका निभाई. 1983 में टीम नेटवेस्ट बैंक ट्राफ़ी में उनकी और इयान बाथम की पारी की बदौलत ही समरसैट खिताब जीतने में सफ़ल रही।

हालांकि क्लब में उनके टोटम उपस्थिति के बावजूद 1985 और 1986 में वो कुछ खास नहीं कर सके, यही वजह है कि कट्री चैम्पियनशिप में उनकी टीम निचले पायदान पर पहुंच गई। 1987 सीज़न के लिए रिचर्ड और साथी ज्योल गार्नर के अनुबंध को आगे नहीं बढ़ाने के कप्तान पीटर रीबोक की फैसले से समरसैट ने उनका और ज्योल गार्नर का अनुबंध आगे नहीं बढ़ाया, जिनके रन और विकेट की मदद से पूर्व के आठ वर्षों में काउंटी को काफी सफलता मिली थी। काउंटी ने उनके स्थान पर न्यूज़ीलैंड के मार्टिन क्रो को अनुबंधित किया, इस फ़ैसले से नाराज़ होकर इयान बाथम ने भी समरसैट से अपना करार आगे नहीं बढ़ाया और वोरसेस्टरशायर में शामिल हो गए। रीबक के जाने के बाद समरसेट को अपनी गल्ती का एहसास हुआ, बाद में काउंटी ने कंट्री स्टेडियम, टांटन के एक प्रवेश द्वार और एक स्टैंड को रिचर्ड्स को समर्पित कर इस महान खिलाड़ी को सम्मानित किया।

समरसेट से निकाले जाने के बाद रिचर्ड्स ने 1987 के सत्र में लंकाशायर लीग में भाग लिया और रिशटन सीसी प्रोफेशनल, के रूप में खेला। 1990 सीज़न के लिए वे वापस काउंटी में आए और उन्होने ग्लेमोर्गन के साथ करार किया और कैरियर की समाप्ति तक इसी क्लब के लिए खेले, इस दौरान 1993 में ग्लेमोर्गन ने एएक्सए संड लीग में खिलाबी जीत हासिल की।

सन्यास

अपनी आक्रामक शैली के बावजूद रिचर्डस एक सिद्वांतवादी इंसान थे, यही कारण था कि 1983 और 1984 में उन्होने बागी वेस्टइंडीज़ टीम के साथ दक्षिण अफ्रीका जाने से इंकार कर दिया, आयोजक इस दौरे के लिए उन्हे ब्लैंक चेक तक देने को तैयार थे, लेकिन उन्होने ये प्रस्ताव ठुकरा दिया।

रिचर्ड्स के विश्व के उन चार गैर इंग्लिश क्रिकेटरों में शामिल हैं, जिन्होने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में सौ या उससे अधिक शतक जमाए हैं, रिचर्ड्स के अलावा डोनाल्ड ब्रेडमैन, न्यूजीलैंड के ग्लेन टर्नर और पाकिस्तान के जहीर अब्बास भी ये गौरव हासिल कर चुके हैं।

1977 में उन्हें विज़डन क्रिकेटर ऑफ द इयर में शामिल किया।

2000 में सौ सदस्सीय क्रिकेट विशेषज्ञों की एक टीम टीम ने उन्हे शताब्दी के पांच सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में विज़डेन क्रिकेटर्स ऑफ द सेंचुरी में स्थान दिया। इस पोल में उन्हे कुल 25 मत मिले, जबकि डोनाल्ड ब्रेडमैन को (100 मत) गरफील्ड सोबर्स को (90 मत) जैक हॉब्स को (30 मत) और शेन वार्न को (27 मत) हासिल हुए.

क्रिकेट के अलावा रिचर्ड्स ने एंटीगुआ का अंतर्राष्ट्रीय फुटबाल मैचों में भी प्रतिनिधित्व किया, 1974 विश्व कप क्वालीफ़ाइंग मैच में उन्होने एंटीगुआ टीम का प्रतिनिधित्व किया।

रिचर्ड्स को बीबीसी के टेस्ट मैच स्पेशल (टीएमएस) कार्यक्रम के दौरान अक्सर सुना जाता है।

व्यक्तिगत जीवन

रिचर्ड्स का विवाह मरियम से हुआ, जिनसे उनकी दो सन्तानें है, एक मातारा रिचर्ड्स जो इस वक्त टोरंटो, कनाडा में है और दूसरा माली रिचर्ड्स, जो प्रथम श्रेणी क्रिकेटर भी हैं।

भारतीय अभिनेत्री नीना गुप्ता के साथ भी उनके संबंध रहे हैं, जिनसे उनकी एक बेटी मासाबा है (जन्म: 1989).

1999 में क्रिकेट में अमूल्य योगदान को देखते हुए उन्हे एंटीगुआ का राष्ट्रीय नायक घोषित किया गया और उन्हे ऑर्डर ऑफ द नेशनल हीरों की उपाधि से सम्मानित किया गया।

Readers : 128 Publish Date : 2023-11-17 12:54:36