जे॰ जे॰ थॉमसन

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जे॰ जे॰ थॉमसन

नाम :जोसेफ़ जॉन थॉमसन
जन्म तिथि :18 December 1856
(Age 83 Yr. )
मृत्यु की तिथि :30 August 1940

व्यक्तिगत जीवन

शिक्षा ओवेन्स कॉलेज (अब मैनचेस्टर विश्वविद्यालय) ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज (बीए)
व्यवसाय वैज्ञानिक
स्थान चीथम हिल, मैनचेस्टर, ब्रिटेन,

पारिवारिक विवरण

अभिभावक

पिता - जोसेफ जेम्स थॉमसन
माता - एम्मा स्विंडेल्स

वैवाहिक स्थिति Married
जीवनसाथी रोज़ एलिज़ाबेथ पगेट (1890)
बच्चे/शिशु

बेटा- जॉर्ज पगेट थॉमसन
बेटी- जोन पगेट थॉमसन

जोसेफ़ जॉन थॉमसन (१८ दिसम्बर १८५६ - ३० अगस्त १९४०)} अंग्रेज़ भौतिक विज्ञानी थे। वो रॉयल सोसायटी ऑफ़ लंदन के निर्वाचित सदस्य थे। एक विख्यात वैज्ञानिक थे। उन्हौंने इलेक्ट्रॉन की खोज की थी।

थॉमसन गैसों में बिजली के चालन पर अपने काम के लिए भौतिकी में 1906 नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किये गए। उनके सात छात्रों में उनके बेटे जॉर्ज पेजेट थॉमसन सहित सभी भौतिक विज्ञान में या तो रसायन शास्त्र में नोबेल पुरस्कार विजेता बने। उनका रिकॉर्ड केवल जर्मन भौतिकशास्त्री अर्नाल्ड सोम्मेरफील्ड के बराबर है।

जीवनी

जोसफ जॉन थॉमसन का जन्म १८ दिसम्बर १८५६ को चीथम हिल, मानचेस्टर, लंकाशायर, इंग्लैण्ड में हुआ। इनकी माता, एमा स्विंडेल्स एक स्थानीय कपड़ा उद्योग से जुड़े परिवार से थीं। इनके पिता, जोसेफ जेम्स थॉमसन, पुरानी दुर्लभ किताबों की दुकान चलाते थे जिसकी स्थापना इनके परदादा ने की थी। जॉन थॉमसन के, इनसे दो साल छोटे एक भाई फ्रेडरिक वर्नॉन थॉमसन भी थे।

इनकी शुरुआती शिक्षा एक छोटे से प्राइवेट स्कूल में हुई जहाँ इन्होने अद्भुत प्रतिभा और विज्ञान में रूचि का प्रदर्शन किया। १८७० में इनका एडमिशन ओवेन्स कॉलेज में हुआ जब इनकी उम्र मात्र १४ वर्ष थी, जो एक असाधारण बात थी। इनके पिता की योजना यह थी कि इन्हें शार्प-स्टीवर्ट एंड कं में, जो रेल इंजन बनाती थी, एक अप्रेंटिस इंजीनियर के रूप में दाखिला करा दिया जाय, लेकिन इस योजना का क्रियान्वयन नहीं हो पाया क्योंकि पिता का १८७३ में देहांत हो गया।

१८७६ में वे ट्रिनिटी कॉलेज आ गए। १८८० में गणित में बी ए की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने आवेदन किया और १८८१ में वे ट्रिनिटी कॉलेज के फेलो चुन लिए गए। १८८३ में इन्होने ऍमए की उपाधि (एडम्स पुरस्कार के साथ) प्राप्त की।

१२ जून १८८४ को इन्हें रॉयल सोसाइटी का फेलो चुना गया। बाद में ये १९१५ से १९२० तक इसके अध्यक्ष भी रहे।

२२ दिसम्बर १८८४ को इन्हें कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में कैवेंडिश प्रोफ़ेसर ऑफ फिजिक्स चुना गया। यह नियुक्ति काफी आश्चर्यजनक थी क्योंकि अन्य प्रतिस्पर्धी जैसे कि रिचार्ड ग्लेज़ब्रुक इनसे उम्र में भी बड़े थे और प्रयोगशाला कार्य में भी अधिक अनुभवी थे। थॉमसन को मुख्यतः इनके गणित में किये कार्यों के लिए जाना जाता था जहाँ इन्हें एक असाधारण प्रतिभा के रूप में पहचान मिली थी।

१८९० में थॉमसन का विवाह रोस एलिजाबेथ पैगेट से हुआ जो सर जॉर्ज एडवर्ड पैगेट, केसीबी, एक चिकित्सक और चर्च ऑफ सेंट मेरी दि लेस में तत्कालीन रेज़ियस प्रोफ़ेसर ऑफ फिजिक्स ऑफ कैम्ब्रिज (चिकत्सा विज्ञान की एक प्रोफ़ेसरशिप) थे। एलिजाबेथ और थॉमसन का एक बेटा, जॉर्ज पेगेट थॉमसन और एक बेटी जोआन पेगेट थॉमसन हुईं।

थॉमसन को १९०६ में नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया, "गैसों से होकर विद्युत प्रवाह के प्रयोगात्मक परीक्षणों और संबंधित सैद्धान्तिक कार्यों की उच्च गुणवत्ता को देखते हुए"। इन्हें १९०८ में नाइटहुड प्राप्त हुई, १९१२ में ऑर्डर ऑफ मेरिट में नियुक्ति मिली और १९१४ में इन्होने "परमाणविक सिद्धान्त" (दि एटोमिक थ्योरी) पर ऑक्सफोर्ड में रोमान्सेस अभिभाषण दिया। १९१८ में ये कैम्ब्रिज में मास्टर ऑफ ट्रिनिटी कॉलेज बनाये गए और जीवनपर्यन्त इस पद पर रहे। जोसेफ़ जॉन थॉमसन का देहान्त ३० अगस्त १९४० को हुआ; इनकी अस्थियाँ वेस्टमिन्स्टर ऍबे में, सर आइजक न्यूटन और थॉमसन के अपने शिष्य अर्न्स्ट रदरफ़ोर्ड की कब्रों के पास दफनाई गयी हैं।

आधुनिक विज्ञान के क्षेत्र में एक प्रतिभासंपन्न अध्यापक के रूप में दिए गए उनके योगदानों को अत्यंत महत्वपूर्ण स्वीकारा जाता है। इनके शिष्यों में से एक, अर्न्स्ट रदरफ़ोर्ड रहे जिन्होंने कैवेंडिश प्रोफ़ेसर के रूप में इनका उत्तराधिकार संभाला। खुद थॉमसन के अतिरिक्त इनके शोध सहायकों में से आठ लोग (फ्रान्सिस विलियम एस्टन, चार्ल्स ग्लोवर बर्कला, नील्स बोर, मैक्स बॉर्न, विलियम हेनरी ब्रैग , ओवेन्स विलान्स रिचर्डसन, एर्न्स्ट रदरफोर्ड, और चार्ल्स थॉमसन रीज विल्सन) और इनके पुत्र ने भौतिकी अथवा रसायनविज्ञान के क्षेत्र में नोबल पुरस्कार अर्जित किया। इनके बेटे को १९३७ में इलेक्ट्रानों के तरंगवत अभिलक्षणों को साबित करने के लिए नोबल पुरस्कार मिला।

विज्ञानी जीवन

थॉमसन कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय तथा रॉयल इंस्टीट्यूशन, लंदन में भौतिक विज्ञान के प्रोफेसर मानद प्रोफेसर रहे। परमाणु संरचना में थॉमसन की विशेष रुचि थी।मोशन ऑफ़ वोरटेक्स रिंग्स पर १९८४ में एडम्स पुरस्कार मिला।१८९६ में थॉमसन अपनी नवीन खोजों से सम्बंधित व्याख्यान देने के लिए अमेरिका गए। वर्ष १९०४ में पुनः विद्युत् पर येल विश्वविद्यालय में छह व्याख्यान देने के लिए अमेरिका गए।

प्रारम्भिक कार्य

थॉमसन का पुरस्कार प्राप्त करने वाला कार्य वलय में चक्रण गति पर उनका कार्य (Treatise on the motion of vortex rings) है जो उनके परमाणवीय सरंचना में उनकी रूची को प्रदर्शित करता है। इसमें, थॉमसन ने विलियम थॉमसन की भ्रमिल-परमाणु-सिद्धान्त की गति को गणितीय रूप से समझाया।

थॉमसन ने विद्युत्-चुम्बकीकी पर प्रायोगिक और सैद्धान्तिक दोनों तरह के विभिन्न प्रपत्र प्रकाशित किये। उन्होंने जेम्स क्लर्क मैक्सवेल की प्रकाश के विद्युतचुम्बकीय सिद्धान्त का प्रायोगिक अध्ययन किया, उन्होंने आवेशित कणों के विद्युत्-चुम्बकीइय द्रव्यमान की अवधारणा को प्रतिपादित किया और सिद्ध किया कि गतिशील आवेशित पिण्ड अधिक द्रव्यमान प्रदर्शित करता है।

उनका राशायनिक प्रक्रियाओं का गणितीय प्रतिरूपण में अधिकतर कार्य शुरूआती अभिकलनात्मक रसायन के रूप में देखा जा सकता है। ऍप्लिकेशन्स ऑफ़ डायनामिक्स टू फिजिक्स एंड केमिस्ट्री (२००८) (अनुवाद: गतिकी से भौतिकी और रसायन विज्ञान के अनुप्रयोग) के रूप में प्रकाशित आगे के कार्य में थॉमसन ने ऊर्जा के गणितीय और सैद्धान्तिक पदों में स्थानान्तरण को बताया जिसके अनुसार सभी तरह की ऊर्जा गतिज ऊर्जा हो सकती है। उनकी वर्ष १८९३ में प्रकाशित अगली पुस्तक नोट्स ऑन रिसेंट रिसर्चेस इन इलेक्ट्रिसिटी एंड मैग्नेटिज़्म (अनुवाद: वैद्युत् और चुम्बकत्व में हाल ही के शोध पर प्रलेख), मैक्सवैल की ट्रीटीज़ अपॉन इलेक्ट्रिसिटी एंड मैग्नेटिज़्म (अनुवाद: वैद्युत् और चुम्बकत्व पर ग्रन्थ) पर आधारित थी जिसे कई बार "मैक्सवैल के तीसरे संस्करण" के रूप में माना जाता है। इसमें थॉमसन ने प्रायोगिक विधियों और विस्तृत चित्रों एवं उपकरणों को शामिल करते हुये, गैसों से विद्युत पारण को समाहित करने को महत्त्व दिया। उनकी १८९५ में प्रकाशित तीसरी पुस्तक एलिमेंट्स ऑफ़ द मैथमेटिकल थ्योरी ऑफ़ इलेक्ट्रिसिटी एंड मैग्नेटिज़्म (अनुवाद: वैद्युत् और चुम्बकत्व के गणितीय सिद्धान्त के तत्व) विस्तार से विभिन्न विषयों के परिक्षय के रूप में पठनीय सामग्री प्रदान की और पाठ्यपुस्तकों के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण लोकप्रियता प्राप्त की।

थॉमसन ने प्रिंसटन विश्वविद्यालय में वर्ष १८९६ में चार व्याख्यानों की शृंखला रखी जो वर्ष १८९७ में डिसचार्ज ऑफ़ इलेक्ट्रीसिटी थ्रो गैसेस (अनुवाद: गैसों में विद्युत् विसर्जन) के रूप में प्रकाशित हुई। थॉमसन ने वर्ष १९०४ में येल विश्वविद्यालय में छः व्याख्यानों की शृंखला प्रस्तुत की।

इलेक्ट्रॉन की खोज

विभिन्न वैज्ञानिकों, जैसे विलियम प्राउट और नॉर्मन लॉकयर ने यह सुझाव दिया कि परमाणु कुछ अन्य मूलभूत इकाइयों से मिलकर बना हुआ है, लेकिन उन्होंने इसे लघुतम आकार वाले परमाणु, हाइड्रोजन से मिलकर बना हुआ मानने लगे। थॉमसन ने वर्ष १८९७ में पहली बार सुझाव दिया कि इसकी मूलभूत इकाई परमाणु के १००० वें भाग से भी छोटी है। इस तरह उन्होंने अपरमाणुक कण का सुझाव दिया जिसे आज इलेक्ट्रॉन के नाम से जाना जाता है। थॉमसन ने यह कैथोड़ किरणों के गुणधर्मों पर अन्वेषण करते हुये पाया। थॉमसन ने ३० अप्रैल १८९७ को पहली अपनी खोज में पाया कि कैथोड़ किरणें (उस समय इन्हें लेनार्ड किरणों के नाम से जाना जाता था) हवा में परमाणु-आकार वाले कणों से कई गुणा अधिक तेजी से गति कर सकती हैं।

पुरस्कार और पहचान

  • एडम्स प्राइज (१८८२)
  • रॉयल मेडल (१८९४)
  • ह्युजेस मेडल (१९०२)
  • भौतिकी में नोबेल पुरस्कार (१९०६)
  • एलीट क्रेसन मेडल (१९१०)
  • कोप्ले मेडल (१९१४)
  • फ्रेंकलिन मेडल (१९२२)

वर्ष १९९१ में, उनके सम्मान में द्रव्यमान वर्णक्रममाप में द्रव्यमान-आवेश अनुपात के रूप में थॉमसन (प्रतीक: Th) प्रस्तावित किया गया।

उनकी याद में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय परिसर में जे॰जे॰ थॉमसन अवेन्यू का नामकरण किया गया।

नवम्बर १९२७ में, जे॰जे॰ थॉमसन ने अपने सम्मान में, लेज स्कूल, कैम्ब्रिज में थॉमसन इमारत खोली।

Readers : 60 Publish Date : 2023-04-13 06:05:04