स्मिता सभरवाल
स्मिता सभरवाल
(Age 47 Yr. )
व्यक्तिगत जीवन
शिक्षा | वाणिज्य में स्नातक |
धर्म/संप्रदाय | सनातन |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
व्यवसाय | सिविल सेवक (आईएएस) |
स्थान | दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल, भारत, |
शारीरिक संरचना
ऊंचाई | लगभग 5.5 फ़ीट |
वज़न | लगभग 65 किग्रा |
आँखों का रंग | काला |
बालों का रंग | काला |
पारिवारिक विवरण
अभिभावक | पिता : कर्नल प्रणब दास |
वैवाहिक स्थिति | Married |
जीवनसाथी | अकुन सभरवाल (आईपीएस) |
बच्चे/शिशु | बेटा : नानक सभरवाल |
पसंद
भोजन | दक्षिण भारतीय भोजन |
स्मिता सभरवाल तेलंगाना कैडर से २००१ बैच की भारतीय प्रशासनिक अधिकारी हैं। वह लोगो में "पीपल्स ऑफिसर"[2] नाम से भी लोकप्रिय हैं। वह पहली महिला आईएएस अधिकारी हैं,जिन्हें मुख्यमंत्री कार्यालय में नियुक्त किया गया है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
स्मिता का जन्म पश्चिम बंगाल में हुआ था। उनकी अधिकतर शिक्षा भारत के वभिन्न हिस्सों में हुई। उनके पिता कर्नल प्रणब दास एक सेनानिवृत्त सेना अधिकारी थे, जों की भारतीय सेना में सेवा करते थे। उनकी स्कूली शिक्षा के आखरी दो साल सेट ऐन मार्रेद्पल्ली, हैदराबाद में बीते। बाद में उन्होंने सेंट फ्रांसिस डिग्री कॉलेज से वाणिज्य में स्नातक की डिग्री की। वह "संघ लोक सेवा आयोग" की परीक्षा पास करने वाली सबसे कम उम्र के अधिकारियो में शामिल हैं। उन्होंने सम्पूर्ण भारत में रस्थ्रिये स्टार पर चौथा (४) स्थान हासिल किया और आईऐएस के लिए चयन किया।
करियर
मसूरी की नेशनल अकादमी से प्रशासनिक प्रशिक्षण पूरा होने के बाद परिवीक्षाधीन दिनों के दौरान उन्हे आदिलाबाद जिले में प्रशिक्षण दिया गया। उनको अपना पहला स्वतंत्र प्रभार मदनपल्ली, चित्तूर के उप कलेक्टर के रूप में मिला था, जिससे उन्हें भूमि अधिग्रहैण प्रबंधन और जिला प्रशासन का अनुभव मिला। इसके बाद उन्होंने ग्रामीण विकास क्षेत्र में बतौर परियोजना निदेशक, डीआरडीऐ (कडापा) में काम किया। वारंगल में नगर निगम आयुक्त के रूप में उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान "फण्ड योर सिटी" नामक एक योजना शुरू की जिसके अंतर्गत बड़ी संख्या में सार्वजनिक उपयोगिताएं जैसे ट्राफिक जंक्शन, फुट ओवर-ब्रिज, बस स्टैंड, उद्यान, आदि सार्वजनिक-निजी भागीदारी के साथ बनाये गए थे। इसके बाद उन्होंने वाणिज्य कर, विशाखापट्नम में बतौर उपायुक्त पद संभाला और कुरनूल व हैदराबाद के संयुक्त कलेक्टर के रूप में भी सेवा की। साल २०११ में अप्रैल में उन्होंने जिला कलेक्टर के रूप में "करीमनगर जिले" में कार्यभार संभाला, जहाँ उन्होंने स्वास्थ्य व शिक्षा के क्षेत्र में विशेष योगदान दिया। करीमनगर जिले को प्रधानमंत्री के २० अंक कार्यक्रम के दौरान "सर्वश्रेष्ट जिले" से सम्मानित किया गया था। मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए उन्होंने एक "मतदान पंदुगा" नामक एक योजना भी चलायी थी। उन्होंने "लोगो के अधिकारी" के रूप में जाना जाता हैं और तकनीक के क्षेत्र में नवीनतम कार्यक्रमों का उपयोग, विशेष रूप से क्षेत्र में सरकारी कार्यक्रमों को लागू कराने के लिए जाना जाता हैं। स्काइप के जरिए सरकारी डॉक्टरों की निगरानी ने सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र में परिदृश्य को पूरी तरह बदल दिया है। विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए सॉफ्टवेयर के माध्यम से सरकारी स्कूलों के प्रदर्शन की निगरानी में करीमनगर और मेडक जिले अपने कार्यकाल के दौरान राज्य में शीर्ष स्थान बन चुके हैं।
पुरस्कार
- भारतीय एक्सप्रेस देवी पुरस्कार - २०१३
- ई-भारत(ई-स्वस्थ्य श्रेणी) सर्कार डिजिटल पहल - २०१३
- सर्वश्रेष्ठ जिले के लिए मुख्यमंत्री का पुरस्कार(२१ पॉइंट फ्लैगशिप पुरस्कार)- २०११-१२
- प्लैटिनम पुरस्कार