द्रौपदी मुर्मू : आयु, जीवनी, करियर, राजनीतिक और व्यक्तिगत जीवन

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द्रौपदी मुर्मू

नाम :द्रौपदी मुर्मू
जन्म तिथि :20 June 1958
(Age 66 Yr. )

व्यक्तिगत जीवन

शिक्षा बी. ए.
जाति अनुसूचित जनजाति
धर्म/संप्रदाय सनातन
राष्ट्रीयता भारतीय
व्यवसाय राजनीतिज्ञ
स्थान उपरबेड़ा, मयूरभंज, ओडिशा, भारत,

शारीरिक संरचना

ऊंचाई 5 फीट 4 इंच
आँखों का रंग काला
बालों का रंग काला

पारिवारिक विवरण

अभिभावक

पिता: बिरंची नारायण टुडू

वैवाहिक स्थिति विवाहित
जीवनसाथी

श्याम चरण मुर्मू

बच्चे/शिशु

पुत्र: स्वर्गीय लक्ष्मण मुर्मू, स्वर्गीय सिपुन मुर्मू
पुत्री : इतिश्री मुर्मू

भाई-बहन

भाई: भगत टुडू, सारणी टुडू

द्रौपदी मुर्मू एक भारतीय राजनेता हैं, जो 2022 से भारत की राष्ट्रपति के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने 2022 के राष्ट्रपति चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की। वह आदिवासी समुदाय से आने वाली पहली व्यक्ति और प्रेक्षिणा पटेल के बाद दूसरी महिला हैं, जिन्होंने यह पद संभाला। इसके अलावा, वह इस पद पर बैठने वाली सबसे युवा व्यक्ति (64 वर्ष की आयु में) और स्वतंत्र भारत में जन्मी पहली राष्ट्रपति हैं।

इससे पहले, उन्होंने 2015 से 2021 तक झारखंड की राज्यपाल के रूप में कार्य किया, जहां वह इस राज्य की सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाली राज्यपाल थीं। इसके अलावा, वह 2000 से 2009 तक ओडिशा विधानसभा के रैरंगपुर विधानसभा क्षेत्र से ओडिशा विधान सभा की सदस्य भी रही थीं और 2000 से 2004 तक ओडिशा सरकार में स्वतंत्र प्रभार मंत्री के रूप में कार्य किया था।

राजनीति में प्रवेश करने से पहले, द्रौपदी मुर्मू ने 1979 से 1983 तक राज्य सिंचाई और ऊर्जा विभाग में एक क्लर्क के रूप में काम किया, और फिर 1994 से 1997 तक रैरंगपुर में एक शिक्षक के रूप में कार्य किया।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

20 जून, 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के उपरबेड़ा गांव में एक संथाली आदिवासी परिवार में जन्मी श्रीमती मुर्मु का प्रारंभिक जीवन कठिनाइयों और संघर्षों से भरा रहा। गाँव के स्कूल से प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद, वे, अपनी आगे की पढ़ाई के लिए अपनी ही पहल पर भुवनेश्वर गईं। उन्होंने रमादेवी महिला महाविद्यालय, भुवनेश्वर से कला स्नातक की उपाधि प्राप्त की। वे अपने गांव से कॉलेज जाने वाली प्रथम बालिका बनीं।

करियर

श्रीमती मुर्मु ने 1979 से 1983 तक ओडिशा सरकार के सिंचाई और बिजली विभाग में कनिष्ठ सहायक के रूप में कार्य किया। बाद में, 1994 से 1997 तक उन्होंने, श्री अरबिंद इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर, रायरंगपुर में मानद शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं दीं।

सार्वजनिक जीवन

वर्ष 2000 में, श्रीमती मुर्मु रायरंगपुर निर्वाचन क्षेत्र से ओडिशा विधान सभा की सदस्य के रूप में चुनी गईं और 2009 तक, दो कार्यकालों के लिए विधायक रहीं। इस अवधि के दौरान, उन्होंने 6 मार्च, 2000 से 6 अगस्त, 2002 तक ओडिशा सरकार के वाणिज्य और परिवहन विभाग की राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में तथा 6 अगस्त, 2002 से 16 मई, 2004 तक मत्स्य पालन और पशु संसाधन विभाग की राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में कार्य किया। दोनों ही दायित्वों के निर्वहन में, उन्होंने अभिनव निर्णय लिए और लोकहितकारी कदम उठाए।  

उन्हें ओडिशा विधान सभा की विभिन्न समितियों व सदन समितियों और स्थायी समितियों का सदस्य नियुक्त किया गया। इनमें से कुछ समितियों की वे अध्यक्ष भी रहीं।  

अपने गहन प्रशासनिक अनुभव और आदिवासी समाज के उत्थान हेतु, विशेषकर शिक्षा के क्षेत्र में किए गए प्रयासों के बल पर, उन्होंने अपनी एक विशेष पहचान बनाई। विधायक के रूप में उनकी विशिष्ट सेवाओं को ध्यान में रखते हुए, 2007 में उन्हें ओडिशा विधान सभा द्वारा ‘पंडित नीलकंठ दास - सर्वश्रेष्ठ विधायक सम्मान’ से विभूषित किया गया।

झारखंड के राज्‍यपाल

श्रीमती मुर्मु को, 18 मई, 2015 के दिन झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया। वे, उस आदिवासी बहुल राज्य की पहली महिला आदिवासी राज्यपाल बनीं। संविधान की गरिमा को अक्षुण्ण रखने तथा जनजातीय समुदायों के अधिकारों का समर्थन करने के लिए व्यापक रूप से उनकी सराहना की गई। उन्होंने राज्य विश्वविद्यालयों की परीक्षा और भर्ती प्रक्रियाओं में अनेक सुधार किए। राजनीतिक शुचिता और लोकतांत्रिक मूल्यों में अपनी निष्ठा के बल पर सभी राजनीतिक दलों के नेताओं का आदर उन्होंने अर्जित किया।

अन्य अभिरूचियां

श्रीमती मुर्मु, ओडिशा के आदिवासी सामाजिक-शैक्षिक और सांस्कृतिक क्षेत्र के अनेक संगठनों से जुड़ी रहीं।  

स्वाध्याय में उनकी विशेष रूचि है और अध्यात्म में उनकी गहरी आस्था है।

व्‍यक्तिगत जीवन

श्रीमती मुर्मु का विवाह वर्ष 1981 में (स्वर्गीय) श्री श्याम चरण मुर्मु से हुआ जो एक बैंक अधिकारी थे। उनकी एक सुपुत्री है जिनका नाम इतिश्री मुर्मु है। उनके जामाता, श्री गणेश हेम्ब्रम एक रग्बी खिलाड़ी हैं।

देश एवं विदेश की यात्राएं

भारत की राष्ट्रपति के रूप में, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने देश की व्यापक रूप से यात्राएं की हैं। उन्होंने विश्व स्तर पर भारत की पहुँच और प्रभाव को बढ़ाने के लिए विदेश की यात्राएं भी की हैं। उन्होंने 2022 में यूनाइटेड किंगडम का दौरा किया, और सूरीनाम, सर्बिया, मॉरीशस, फिजी, न्यूजीलैंड, तिमोर-लेस्ते, अल्जीरिया, मॉरिटानिया और मलावी की राजकीय यात्राएं भी की हैं। अपनी यात्राओं के दौरान उन्होंने प्रवासी भारतीयों से विशेष रूप से सम्पर्क बनाया और भारत के द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में उनकी महत्ती भूमिका को स्वीकार किया। उन्हें सूरीनाम के "ग्रैंड ऑर्डर ऑफ द चेन ऑफ द येलो स्टार", फिजी के “कम्पेनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ फिजी”, और “ग्रैंड कॉलर ऑफ द ऑर्डर ऑफ  तिमोर-लेस्ते” से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा, उन्हें मॉरीशस विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट ऑफ सिविल लॉ की मानद उपाधि तथा अल्जीरिया के वैज्ञानिक और तकनीकी केंद्र, शहीद इहादादेन अब्देलहाफिद विश्वविद्यालय द्वारा राजनीति विज्ञान में मानद डॉक्टरेट की उपाधि से भी सम्मानित किया गया है।

सामान्य प्रश्न

प्रश्न: द्रौपदी मुर्मू कौन हैं?
उत्तर: द्रौपदी मुर्मू भारतीय राजनेता हैं, जो 2022 से भारत की राष्ट्रपति के रूप में कार्यरत हैं। वह आदिवासी समुदाय से पहली व्यक्ति और दूसरी महिला हैं, जिन्होंने यह पद संभाला है।

प्रश्न: द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव कैसे जीते?
उत्तर: द्रौपदी मुर्मू ने 2022 के राष्ट्रपति चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की और राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभाला।

प्रश्न: द्रौपदी मुर्मू का व्यक्तिगत जीवन कैसा था?
उत्तर: द्रौपदी मुर्मू का जन्म 1958 में ओडिशा के रैरंगपुर में हुआ। उन्होंने 1980 में श्याम चरण मुर्मू से विवाह किया और उन्हें दो बेटे और एक बेटी हुई। 2009 से 2015 के बीच, उनके परिवार के कई सदस्य का निधन हो गया।

प्रश्न: द्रौपदी मुर्मू ने राजनीति में कब कदम रखा?
उत्तर: द्रौपदी मुर्मू ने 2000 में ओडिशा विधान सभा के रैरंगपुर क्षेत्र से चुनाव जीते और 2000 से 2004 तक ओडिशा सरकार में मंत्री भी रहीं। बाद में, उन्होंने 2015 से 2021 तक झारखंड की राज्यपाल के रूप में कार्य किया।

प्रश्न: द्रौपदी मुर्मू किस आध्यात्मिक आंदोलन की अनुयायी हैं?
उत्तर: द्रौपदी मुर्मू ब्रह्मकुमारी आध्यात्मिक आंदोलन की अनुयायी हैं और इसके सिद्धांतों पर विश्वास करती हैं।

Readers : 14 Publish Date : 2025-03-04 02:09:24